फाइनल ईयर की परीक्षाएं होंगी या नहीं? सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज; UGC ने जारी की थी गाइडलाइंस

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Final Year Exam UGC Guidelines 2020: यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) ने देशभर के विश्वविद्यालयों को विभिन्न स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अंतिम वर्ष या सेमेस्टर की परीक्षाओं को 30 सितंबर तक अनिवार्य रूप से कराये जाने का निर्देश दिया था। इसके लिए यूजीसी द्वारा जरूरी दिशानिर्देश भी जारी कर दिए गए थे, जिसका कई राज्य विरोध कर रहे हैं। इसके अलावा यूजीसी के फैसले का 31 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर विरोध किया है। यूजीसी के सर्कुलर को चुनौती देनी वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज, 10 अगस्त 2020 को सुनवाई होगी।

दरअसल, यूजीसी ने 6 जुलाई को जारी अपने सर्कुलर में विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष या लास्ट सेमेस्टर की परीक्षाओं को 30 सितंबर 2020 तक आयोजित कर लेने के निर्देश दिये थे। सर्कुलर में परीक्षाओं को ऑनलाइन या ऑफलाइन या ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनो ही माध्यमों में संयुक्त रूप से आयोजित करने के निर्देश यूजीसी ने दिये थे। इसी सर्कुलर को देश भर के अलग-अलग विश्वविद्यालयों के 31 छात्रों ने मिलकर सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। छात्रों की दलील है कि कोरोना संकट काल में हर जगह हर छात्र के लिए परीक्षाओं में शामिल हो पाना संभव नहीं है।

इधर, दिल्ली सरकार ने भी रविवार को कोरोना संकट को देखते हुए अपने सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की इस साल आयोजित न हो सकी परीक्षाओं को न करवाने का फैसला ले लिया है। दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को सूचित किया है कि दिल्ली राज्य के विश्वविद्यालयों की ऑनलाइन और ऑफलाइन परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं।

गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में गुरुवार को यूजीसी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि फाइनल ईयर की परिक्षाएं 30 सितंबर तक आयोजित करवाने का मकसद छात्रों का भविष्य संभालना है ताकि छात्रों की अगले साल की पढ़ाई में विलंब न आए और उनका समय बर्बाद न हो। साथ ही यूजीसी ने कहा था कि किसी को भी इस धारणा में नहीं रहना चाहिए कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षा रोक दी है। छात्रों को अपनी पढ़ाई की तैयारी जारी रखनी चाहिए।

वहीं, सुनवाई में याचिकाकर्ता छात्रों के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि देश में बहुत से विश्विद्यालय में ऑनलाइन परीक्षा के लिए जरूरी सुविधा नहीं है। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऑफलाइन का भी विकल्प है। इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि लेकिन बहुत से लोग स्थानीय हालात या बीमारी के चलते ऑफलाइन परीक्षा नहीं दे पाएंगे। उन्हें बाद में परीक्षा देने का विकल्प देने से और भ्रम फैलेगा।

याचिकाकर्ताओं में एक कोरोना पॉजिटिव छात्र भी शामिल है। उसने कहा है कि ऐसे कई अंतिम वर्ष के छात्र हैं, जो या तो खुद या उनके परिवार के सदस्य COVID पॉजिटिव हैं। ऐसे छात्रों को 30 सितंबर, 2020 तक अंतिम वर्ष की परीक्षाओं में बैठने के लिए मजबूर करना, अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त जीवन के अधिकार का खुला उल्लंघन है। छात्रों द्वारा दायर याचिका में मांग की गयी है कि विश्वविद्यालयों या अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों में अंतिम वर्ष या सेमेस्टर की परीक्षाओं को रद्द किया जाना चाहिए और छात्रों के रिजल्ट उनके इंटर्नल एसेसमेंट या पास्ट पर्फार्मेंस के आधार पर तैयार किया जाना चाहिए।

बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने विश्वविद्यालयों और संस्थानों द्वारा 6 जुलाई, 2020 को अधिसूचना जारी करते हुए परीक्षा आयोजित करने की अनुमति दी थी और विश्वविद्यालयों को यूजीसी के दिशानिर्देशों के अनुसार अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षा आयोजित करने का आदेश दिया था।

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