नई दिल्ली, 7 जून (आईएएनएस)| आगरा के इर्द-गिर्द अवैध ईंट-भट्ठों की भरमार और धुआं के लिए कोई नियमन नहीं होने की वजह से ऐसा माना जा रहा है कि ताजमहल का रंग बदल रहा है।
आगरा में फिलहाल 110 ईंट-भट्ठे हैं, जिनमें से 47 के पास लाइसेंस और प्रदूषण बोर्ड से एनओसी नहीं है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की हालिया रिपोर्ट में ईंट-भट्ठे की स्थिति के बारे में यह बात कही गई है।
आगरा के अलावा ताज क्षेत्र में आने वाले मथुरा, हाथरस, फिरोजाबाद, अलीगढ़ और एटा जिलों को भी जोड़ा जाए तो बिना लाइसेंस के 600 ईंट-भट्ठे चल रहे हैं। आगरा में अवैध रूप से चलने वाले 47 ईंट-भट्ठों में से अबतक केवल दो के खिलाफ वायु अधिनियम, 1991 के तहत मामला दर्ज किया गया है। हालांकि नोटिस सभी ईंट-भट्ठों को दिया गया है, लेकिन उप्र प्रदूषण बोर्ड इनके खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है, क्योंकि इनमें से कुछ को स्थानीय राजनेताओं का समर्थन प्राप्त है।
संगमरमर के पत्थर से तराशे ताजमहल पर संकट यहीं खत्म नहीं हो जाता। ताजमहल को प्रदूषण से खतरे का अध्ययन करने वाले आईआईटी कानपुर के शोधकर्ताओं ने कहा कि हानिकारक प्रदूषक तत्व आगरा की हवा में मौजूद हैं। इसके लिए ईंट-भट्ठे और फाउंडरी (ढलाईखाना) जैसे उद्योग प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं।
आईआईटी कानपुर के शोधकर्ताओं ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निगरानी केंद्र सहेली बुर्ज (ताजमहल) से नमूने लिए हैं। इन नमूनों को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेन्नई स्थित आधुनिक प्रयोगशाला में भेजा गया है। अगर रिपोर्ट से यह जाहिर होगा कि यह ताजमहल के लिए खतरा है तो केंद्र सरकार को धुआं छोड़ने वाले इन उद्योगों को अन्यत्र स्थानांतरित करने पर विचार करना होगा।
आगरा में ईंट-भट्ठों के फलने-फूलने के मुद्दे पर उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुख्य पर्यावरण अधिकारी आर.के.सिंह ने आईएएनएस से कहा कि जिन ईंट-भट्ठों ने एनओसी नहीं लिया है और जो नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं, उनके खिलाफ मामले दर्ज करने के प्रयास किए जा रहे हैं। “हमने आगरा के क्षेत्रीय केंद्र को निर्देश दिया है कि धुआं फैलाने वाले ईंट-भट्ठों के मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। यह प्रयास भी किया जा रहा है कि जिले में बड़े डीजल जनरेटर सेट का संचालन बंद किया जाए। ”
उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वादा किया है कि ताजमहल को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे।
इस बीच पर्यावरण दिवस (3 जून) के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र ने एक वृहद कार्य योजना शुरू की, ताकि आगरा में वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके। इसके तहत वाहन प्रदूषण, धूलकण, बायोमास एवं कूड़ा से निकलने वाले उत्सर्जन का नियंत्रण शामिल है।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अधिकारियों का मानना है कि आगरा में वायु प्रदूषण काफी बढ़ गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि आगरा में बढ़ रहे वायु प्रदूषण पर नियंत्रण रोकने के उपाय करें।
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