काबुल, 28 सितंबर (आईएएनएस)। तालिबान ने जोर देकर कहा है कि अमेरिका के साथ समझौते को मान्यता दिए बिना दोनों पक्षों के बीच वर्तमान वार्ता को जारी रखने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि अमेरिका ही इस समझौते का मुख्य आधार है।
टोलो न्यूज ने तालिबान की ओर से बातचीत करने वाली टीम के सदस्य अब्दुल सलाम हनफी के हवाले से रविवार को कहा, “हम कहना चाहते हैं कि अंतर-अफगान वार्ता दोहा समझौते या इस्लामिक अमीरात और अमेरिका के बीच हुए समझौते पर आधारित होनी चाहिए।”
इसी टीम के एक सदस्य मुल्ला खैरुल्लाह खैरख्वा ने कहा कि आतंकवादी समूह अफगानिस्तान के सभी नागरिकों के अधिकारों का सम्मान करता है, लेकिन वार्ता के दौरान देश के संविधान में शियाओं के अधिकारों को लेकर भी चर्चा होनी चाहिए।
दो सप्ताह से अफगान शांति वार्ता के दोनों पक्षकार बात कर रहे हैं और अब वे समझौते पर पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं। इस दौरान आतंकवादी समूह ने अफगान शांति वार्ता को ‘मदर डील’ के रूप में यूएस-तालिबान समझौते को मान्यता देने की मांग की है।
टोलो न्यूज ने रिपब्लिक की वार्ता टीम के सदस्य मोहम्मद रसूल तालिब के हवाले से कहा, “दोनों पक्षों के बीच विचारों में बहुत अंतर है, इसलिए बातचीत में देरी होना आम बात है।”
वहीं इस बारे में अब तक कोई पुष्ट जानकारी नहीं मिली है कि दोनों पक्ष प्रक्रियात्मक नियमों पर फिर से बातचीत कब शुरू करेंगे।
–आईएएनएस
एसडीजे/एसजीके
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