क्रिकेट के इतिहास में आज का दिन टीम इंडिया के बेहद ही खास कारनामे के लिए जाना जाता है। इस दिन भारत ने इंग्लैंड को उसी की सरजमीं पर उसे हार का स्वाद चखाकर देकर पहली बार नेटवेस्ट ट्रॉफी अपने नाम की थी। गांगुली की कप्तानी में भारतीय टीम ने बेहद रोमांचक मुकाबले में मेजबान टीम से हार का बदला भी चुकता किया था।
नेटवेस्ट ट्रॉफी का ये फाइनल इसलिए भी रोमांचक था, क्योंकि इसमें इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 300 से ज्यादा रन बनाए थे। मेजबान टीम के दो खिलाड़ियों ने शतक भी जड़े थे, लेकिन भारतीय टीम के किसी भी खिलाड़ी ने शतक नहीं जड़ा था, बावजूद इसके भारतीय टीम ने बाजी मारकर नेटवेस्ट ट्रॉफी का फाइनल जीता था।
बात 13 जुलाई 2002 की है जगह इंग्लैंड का ऐतिहासिक लॉर्ड्स मैदान। इस दिन पूरा स्टेडियम खचाखच भरा हुआ था। नेटवेस्ट ट्रॉफ़ी के निर्णायक मुकाबले में भारत और इंग्लैंड आमने-सामने थे। इंग्लैंड ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने का फ़ैसला किया। इंग्लैंड केबल्लेबाज़ ट्रेसकोथिक (109) और कप्तान नासिर हुसैन (115) की शतकीय पारी के दम पर इंग्लैंड ने 325 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया।
इस जमाने में इतने विशाल स्कोर का पीछा करना उन दिनों बड़ी बात मानी जाती थी। लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम के लिए डेरेन गफ, एलेक्स टूडर और एंड्रयू फ्लिंटॉफ जैसे गेंदबाज़ों के सामने ये लक्ष्य असंभव लग रहा था। भारतीय सलामी बल्लेबाज़ विरेंद्र सहवाग और कप्तान सौरव गांगुली ने पारी की शुरुआत की।
दोनों बल्लेबाज़ों ने पहले विकेट के लिए 106 रनों की साझेदारी की जिसके बाद लगने लगा कि भारत इस लक्ष्य तक पहुंच सकता है। लेकिन 14वें ओवर की तीसरी गेंद पर 106 रन के स्कोर पर भारत ने सौरव गांगुली (60) के तौर पर अपना पहला विकेट गंवा दिया। इसके बाद भारत वीरेंद्र सहवाग 45 रन बनाकर पवेलियन लौट गए।
इसके बाद इंग्लैंड के गेंदबाज़ों ने मोंगिया (9), सचिन तेंदुलकर (14) और राहुल द्रविड़ (5) को सस्ते में आउट कर पवेलियन का रास्ता दिखाया। मैच में फिर एक मोड़ आया जब भारत ने 146 रन पर ही 5 विकेट गवां दिए और यहां से भारत के जीत की राह मुश्किल लगने लगी।
लेकिन इसके बाद क्रीज़ पर आए युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ ने जो किया वो क्रिकेट में इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गया। इन दोनों ने 121 रनों की शतकीय साझेदारी कर भारत की उम्मीदें एक बार फिर जागी। लेकिन 267 रन के स्कोर पर कॉलिंगवुड ने युवराज (69) को आउट कर चलता किया।
अब एक फिर भारतीय खेमे में सन्नाटा पसर गया। लेकिन कैफ अभी भी क्रीज़ पर मौजूद थे। कैफ का साथ देने आए हरभजन सिंह और दोनों के बीच अर्धशतकीय साझेदारी हुई। लेकिन 48वें ओवर में फिंल्टॉफ ने हरभजन (15) और कुंबले को आउट कर मैच को फिर से इंग्लैंड की ओर मोड़ दिया। अब भारत को 13 गेंदों पर 12 रन की दरकार थी।
अब सारी बोझ कैफ के कंधों पर ही था, उनका साथ देने ज़हीर ख़ान आए। इन दोनों ही मैदान से तभी लौटे जब भारत ने लक्ष्य हासिल कर मैच जीत लिया। मोहम्मद कैफ इस मैच के मैन ऑफ द मैच रहे। उन्होंने 75 गेंदों में 6 चौके और 2 छक्कों की मदद से 87 रन की नाबाद पारी खेल कर इंग्लैंड के जबड़े से जीत छीन ली।
इस मैच में जीत मिलते ही भारतीय टीम के कप्तान सौरव गागुंली लॉर्ड्स की बालकनी में अपनी जर्सी लहराने लगे। सौरव गांगुली का वो जर्सी लहराना सिर्फ भारत की जीत का जश्न ही नहीं बल्कि ये वानखेड़े दरअसल 3 फरवरी 2002 को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में भारत और इंग्लैंड के बीच एक मैच में इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए सभी विकेट खोकर 255 रन बनाए थे।
जवाब में लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम 250 पर ही ऑलआउट हो गई थी और इंग्लैंड ने मैच जीत लिया। इस जीत के बाद इंग्लैंड के एंड्रयू फ्लिंटॉफ जर्सी उतारकर वानखेड़े मैदान में लहराने लगे। उस वक़्त फिंल्टॉफ ने इंग्लैंड की जीत का जश्न कुछ ऐसे मनाया था। इसलिए जब दादा की टीम ने इंग्लैंड को उसी के घर में हराकर जीत दर्ज की तो उन्होंने फ्लिंटॉफ को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया था।
एक रिपोर्ट के मुताबिक टीम इंडिया पहले से ही इस बात की तैयारी कर के बैठी थी कि अगर उनकी हम जीतने में कामयाब रहे तो पूरी टीम अपनी शर्ट उतारकर हवा में लहराएंगी लेकिन टीम में मौजूद राहुल द्रविड ने ज्यादातर खिलाड़ियों को ऐसा करने से रोक लिया। लेकिन वो भला गांगुली को कैसे रोक पाते।
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