तकनीकी, वैज्ञानिक समाधान मौजूद, मगर जरूरतमंदों तक पहुंच नहीं : हर्षवर्धन

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 नई दिल्ली , 30 नवंबर (आईएएनएस)| केंद्रीय विज्ञान, तकनीकी और पर्यावरण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने शुक्रवार को यहां कहा कि देश में कई समस्याओं का तकनीकी और वैज्ञानिक समाधान मौजूद है, लेकिन यह समाधान जरूरतमंद लोगों तक नहीं पहुंच पाता।

  उन्होंने सुरक्षा क्षेत्र में आईआईएसएसएम (इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिक्योरिटी एंड सेफ्टी मैनेजमेंट) के योगदान की प्रशंसा करते हुए उनसे तकनीकी क्षेत्र में आ रही समस्याओं को सरकार तक पहुंचाने का अनुरोध किया, ताकि उनके अनुरूप देश की वैज्ञानिक प्रतिभा का उपयोग कर समाधान तलाशे जा सकें।

व्यवसाय, उद्योग एवं अन्य वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में बेहतर सुरक्षा एवं बचाव जैसे विषयों पर 29 व 30 नवंबर को आईआईएसएसएम का 28वां वार्षिक वैश्विक सम्मेलन दिल्ली छावनी के मानेकशॉ केंद्र में आयोजित किया गया।

सम्मेलन के दूसरे दिन हर्षवर्धन ने कहा कि सुरक्षा क्षेत्र में आईआईएसएसएम का दिया जा रहा योगदान विभिन्न स्तरों में सुधार लाने में मददगार साबित होगा।

उन्होंने कहा, “लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि देश में कितना शोध कार्य हो रहा है। देश नैनों तकनीक विकसित करने में तीसरे नम्बर है। सुनामी चेतावनी, तूफान और मौसम संबंधी जानकारी में हम दुनिया के शीर्ष पर हैं। मौसम विज्ञान के क्षेत्र में दक्षिण पूर्व एशिया सहितत यूरोप अफ्रिका के देश हम पर आश्रित है। सरकार की सीएसआईआर हर तरह के शोध कार्य में लगा हुआ संस्थान है, जिसका विश्व के 207 ऐसे संस्थानों में वैश्विक रैंकिग में 9वां स्थान है। अंतरिक्ष के क्षेत्र में हम देश-दुनिया में ख्याति प्राप्त हैं और अगिम कतार में हैं।”

इससे पहले, एक सत्र को संबोधित करते हुए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम लघु उद्योग के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)गिरिराज सिंह ने कहा, “निजी सुरक्षा उद्योग में औपचारिक क्षेत्र के विकास से सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के बीच एक तालमेल विकसित होगा और लोगों में दोनों के प्रति विश्वास और बढ़ेगा। इससे सरकारी सुरक्षा एजेंसियों का भी कार्यभार कम होगा, जिससे वह कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में ध्यान दे पाएंगे।”

उन्होंने कहा कि आने वाले समय में विशिष्ठ जनों की सुरक्षा का भार भी निजी सुरक्षा एजेंसियां संभाल सकती हैं।

सिंह ने कहा कि एमएसएमई देश में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला क्षेत्र है। इसमें लोग बेहद आसानी से जुड़ सकते हैं। यह इसका गुण भी है और एक चिंता का भी विषय है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा को आज भी ऐसे रोजगार के रूप में देखा जाता है जिसके बार के में लोग कहते हैं कि कुछ न मिला तो सुरक्षा गार्ड बन गए। हालांकि यह क्षेत्र काफी तेजी से बढ़ रहा है। इसके साथ ही क्षेत्र संगठित भी हो रहा है।

उन्होंने सुरक्षा क्षेत्र का जिक्र करते हुए कहा कि चीन में सुरक्षा क्षेत्र में निजी भागीदारी 35 प्रतिशत, जर्मनी में 50 प्रतिशत और भारत में 24 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि अगर क्षेत्र के विकास पर ध्यान दिया जाए तो चोरी जैसी छोटे अपराधों से निपटने में निजी सुरक्षा एजेंसियां काफी अच्छा काम कारगर हो सकती हैं।

वहीं, सांसद आर.के. सिन्हा ने कहा कि देश को सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले उद्योग सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम मंत्रालय से जुड़ा है। इस क्षेत्र के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है। सुरक्षा उद्योग भी इसी क्षेत्र से आता है जिसका आने वाले समय विकास होने वाला है।

आईआईएसएसएम के वार्षिक वैश्विक सम्मेलन का आयोजन पिछले 27 वर्षो से हर वर्ष होता आ रहा है। इसमें देश एवं विदेश से सुरक्षा क्षेत्र से जुड़े पेशेवर, उद्यमी एवं विशेषज्ञ भाग लेते हैं।

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