नई दिल्ली, 4 जनवरी (आईएएनएस)| इस साल जुलाई-अगस्त में जापान की राजधानी टोक्यो में होने वाले ग्रीष्मकालीन ओलंपिक एवं पैरालम्पिक खेलों पर साइबर और ड्रोन हमलों का खतरा है।
जापान की नेशनल इंटेलिजेंस एजेंसी ने एक वार्निग जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि ग्रीष्मकालीन ओलंपिक एवं पैरालम्पिक खेलों पर ‘स्टेट फंडेड’ साइबर अटैकर्स का हमला हो सकता है। इसके अलावा यह भी कहा गया है कि टोक्यो ओलंपिक के दौरान कुछ आतंकवादी संगठन ड्रोन से हमले कर सकते हैं।
वेबसाइट-साइबरसिक्योरिटीइनसाइडर्स डॉट कॉम के मुताबिक नेशनल इंटेलिजेंस एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कुछ ‘स्टेट फंडेड’ इंटेलिजेंस फर्म्स द्वारा समर्थित कुछ साइबर अटैकर 2020 ओलंपिक के डिजिटल इंफ्रास्टक्चर पर हमला कर सकते हैं।
नेशनल इंटेलिजेंस एजेंसी ने कहा है कि ये अटैकर्स स्पाई आधारित फिशिंग ईमेल के जरिए ये अटैक कर सकते हैं। इनका मकसद खेलों के इस महाकुम्भ में बाधा पहुंचाना या फिर इसे हाईजैक करना हो सकता है।
टोक्यो ओलंपिक अधिकारियों द्वारा जारी बयान में कहा गया है, “हमने कुछ फिशिंग ईमेल डिटेक्ट किए हैं, जो कि टोक्यो ओलंपिक 2020 स्टाफ मेम्बर की ओर से आए हैं। ये ईमेल दुनिया भर के मीडिया हाउसेज को भेजे जाने वाले थे। इन्हें खोलने वाला साइबर हमले का शिकार हो सकता है।”
अधिकारियों ने कहा है कि इस तरह के ईमेल पीड़ित को फिशिंग साइट्स पर ले जा सकते हैं या फिर उनके डिवाइस को इन्फेक्ट कर सकते हैं। पीड़ितों के डिवाइस रैनसमवेयर या फिर क्रिप्टो माइनिंग के जरिए इन्फेक्ट किए जा सकते हैं।
जापान की पब्लिक सिक्युरिटी इंटेलीजेंस एजेंसी (पीएसआईए) ने दावा किया है कि इस तरह के साइबर हमले चीन या फिर जापान के भीतर से ही हो सकते हैं। इन दो देशों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित साइबर हमले करने में माहिर माना जाता है।
दूसरी ओर यह भी कहा जा रहा है कि डोपिंग के कारण ओलंपिक से प्रतिबंधित किए गए रूस से भी साइबर हमले हो सकते हैं। यह सम्भव है कि रूस ओलंपिक खेलों में बाधा पहुंचाने के लिए उसके आईटी इंफ्रास्टक्चर पर हमले कर सकता है।
साथ ही साथ पीएसआईए ने यह भी कहा है कि ओलंपिक खेल आतंकवादी हमलों के लिए बिल्कुल माकूल जगह माने जाते हैं और इसी कारण जापान ने सभी आयोजन स्थलों की सुरक्षा दोगुनी करने का फैसला किया है।
वेबसाइट के मुताबिक जापान सरकार ने किसी भी तरह के आतंकवादी हमले को नाकाम करने की पूरी तैयारी कर ली है और इसके लिए सार्वजनिक परिवहन के साधनों और होटलों पर विशेष नजर रखा जा रहा है।
ओलंपिक खेलों का आयोजन 25 जुलाई से 9 अगस्त तक होगा। जापान दूसरी बार ओलंपिक की मेजबानी कर रहा है। इससे पहले उसने 1964 में ओलंपिक की मेजबानी की थी। उस साल भी ओलंपिक खेल टोक्यो में ही हुए थे।
वेबसाइट-इंटेलीजेंटप्रोटेक्शन डॉट को डॉट यूके के मुताबिक, ओलंपिक के दौरान जापान में स्ट्रीट क्राइम्स, जैसे कि पॉकेटमारी और झपटमारी की भी घटनाएं हो सकती हैं और इसके लिए आयोजकों ने वहां जाने वाले दर्शकों के लिए एक एडवाजरी जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि लोगों को ऐसी घटनाओं को लेकर सावधान रहना होगा।
वेबसाइट ने आगे लिखा है कि वैसे तो जापान शांतिप्रिय देश है और टोक्यो दुनिया के सबसे सुरक्षित शहरों में से एक है लेकिन जापान में आतंरिक आतंकवाद की भी समस्या रही है। बीते कुछ दशकों में यहां कुछ आतंकवादी हमले हुए हैं। इसी तरह का एक हमला 1 जनवरी, 2019 को हुआ था, जिसमें एक वाहन ने पैदलयात्रियों को कुचलने की कोशिश की थी। जापान में अब तक का सबसे बड़ा आतंकवादी हमला 1995 में हुआ था, जब टोक्यो सबवे में 12 लोगों की जान चली गई थी और 1050 लोग घायल हुए थे।
वेबसाइट लिखता है, “साथ ही साथ जापान पर आतंकवादी संगठन आईएसआईएस द्वारा ड्रोन से हमला किए जाने की भी आशंका जताई गई है। इसके अलावा साइबर अटैक के जरिए टोक्यो के पावर सप्लाई और ट्रांसपोर्टेशन को बाधित किया जा सकता है।”
जापान ने आतंकवादी घटनाओं को खारिज करने के लिए पहली बार खिलाड़ियों, वॉलंटियर्स और स्टाफ के लिए फेसियल रिक्गनिशन आईडी सिस्टम उपयोग में लाने का फैसला किया है। इससे आयोजन स्थलों पर लम्बी कतारों को खत्म किया जा सकेगा और साथ ही साथ वहां जुटने वाले अवांछित तत्वों पर नजर रखी जा सकेगी।
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