नई सरकार के पहले बजट की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 5 जुलाई (शुक्रवार) को वित्तवर्ष 2019-20 के लिए पूर्ण बजट पेश करेंगी। भारत में बजट पेश करने का इतिहास 150 साल से अधिक पुराना है। इतने वर्षों में बजट पेश करने के तौर-तरीके में कई बदलाव हुए हैं। देश का आम बजट भारत के लोकतंत्र का एक अहम हिस्सा माना जाता है। देश की जनता द्वारा चुनी गई सरकार हर साल देश के आय व्यय के ब्यौरे के साथ अगले एक साल में विकास की रूपरेखा पेश करती है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 में बजट का उल्लेख है। ये देश के संविधान का एक अहम हिस्सा है, लेकिन बजट के साथ कई परंपराएं भी जुड़ी होती हैं। अधिकतर सरकारें इन्हीं परंपराओं का निर्वहन कर बजट पेश करती हैं। वहीं कुछ सरकारों ने परंपराएं तोड़कर बजट को लेकर नई परंपरा की शुरुआत की। आज आपको बताएंगे बजट पेश करने में समय के परिवर्तन की कहानी।
गौरतलब है कि स्वतंत्र भारत का पहला बजट वित्तमंत्री आरके षणमुखम शेट्टी (चेट्टी) ने 26 नवंबर 1947 को पेश किया था, जबकि गणतंत्र भारत का पहला बजट 28 फरवरी 1950 को जॉन मथाई ने पेश किया था। आपको बता दें कि साल 2000 तक केंद्रीय बजट की घोषणा शाम 5 बजे की जाती थी। यह अंग्रेजों के समय से चली आ रही परंपरा थी।
बता दें कि, 2001 में तत्कालीन वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने बदल दी थी, यानि वर्ष 2000 तक देश का आम बजट शाम 5 बजट पेश होता था। यह भी एक बजट परंपरा थी, लेकिन इसके पीछे भी एक इतिहास और एक तात्कालीन जरूरत जुड़ी हुई थी। इस परंपरा के पन्ने भारतीय स्वतंत्रता से करीब 20 साल पुराने हैं। बात 1927 की है, उस समय अंग्रेज अधिकारी भी भारतीय संसदीय कार्यवाही में हिस्सा लेते थे।
दरअसल जब भारत में शाम के 5 बजते थे तो उस समय लंदन में सुबह के 11.30 बज रहे होते थे। लंदन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स और हाउस ऑफ कॉमंस में बैठे सांसद भारत का बजट भाषण सुनते थे। आजादी के बाद भी यह नियम जारी रहा। वहीं लंदन स्टॉक एक्सचेंज भी उसी समय खुलता था ऐसे में भारत में कारोबार करने वाली कंपनियों के हित इस बजट से तय होते थे।
देश में संविधान लागू होने के 50 साल बाद इस नियम को बदला गया। तत्कालीन एनडीए सरकार ने इस परंपरा को तोड़ा। उस समय के वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने सबसे पहले सुबह 11 बजे बजट पेश करना शुरू किया जो कि पूरी तरह से भारत के समयानुसार और भारत की परंपरा के अनुरूप था।
आपको ये भी बता दें कि पहले रेल बजट और आम बजट अलग-अलग पेश किया जाता था। मोदी सरकार ने 2017 में इस परंपरा को खत्म करते हुए रेल बजट को आम बजट में मिला दिया गया। इससे पहले 92 सालों तक दोनों बजट अलग-अलग पेश किए गए।
This post was last modified on July 4, 2019 11:55 AM
नवीन शिक्षण पद्धतियों, अत्याधुनिक उद्यम व कौशल पाठ्यक्रम के माध्यम से, संस्थान ने अनगिनत छात्रों…
इतिहासकार प्रोफ़ेसर इम्तियाज़ अहमद ने बिहार के इतिहास पर रौशनी डालते हुए बताया कि बिहार…
अब आवेदन की तारीख 15 जुलाई से 19 जुलाई तक बढ़ा दी गई है।
पूरे दिल्ली-NCR में सर्विस शुरु करने वाला पहला ऑपरेटर बना
KBC 14 Play Along 23 September, Kaun Banega Crorepati 14, Episode 36: प्रसिद्ध डिजाइनर्स चार्ल्स…
राहुल द्रविड़ की अगुवाई में टीम इंडिया ने 1-0 से 2007 में सीरीज़ अपने नाम…