उप्र : केन नदी बचाने की मुहिम ‘मैं भी भगीरथ’ में पंजीकरण आज से

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बांदा, 30 मई (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में केन नदी को बचाने के लिए पत्रकारों और बुद्धजीवियों द्वारा सोशल मीडिया पर शुरू की गई मुहिम ‘मैं भी भगीरथ’ में दिन-प्रतिदिन तेजी आ रही है। अब तक 50 से ज्यादा सामाजिक संगठन और करीब दस हजार लोगों द्वारा अभियान का समर्थन करने का दावा किया जा रहा है। लोगों को इस मुहिम से जोड़ने के लिए आज (गुरुवार) से ऑनलाइन पंजीकरण शुरू होगा।

बांदा जिले की जीवन दायिनी केन नदी को बालू माफियाओं से बचाने के लिए ‘मैं भी भगीरथ, तू भी भगीरथ, हम सब भगीरथ’ अभियान सोशल मीडिया में शुरू करने वाले एक निजी न्यूज चैनल के पत्रकार अजय सिंह चौहान ने बताया, “इस अभियान को अब तक करीब दस हजार लोगों के अलावा वकील, चिकित्सक, पत्रकार, सामाजिक संगठनों से जुड़े प्रतिष्ठित लोग अपना समर्थन दे चुके हैं। जिले में 19 लाख ‘भगीरथ’ तैयार करने का लक्ष्य है।”

उन्होंने बताया, “50 से अधिक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) भी इसमें हिस्सा लेने के लिए अपने कदम बढ़ा चुके हैं। आज गुरुवार (30 मई) से ऑनलाइन और परंपरागत तरीके से लोगों को जोड़ने के लिए पंजीकरण शुरू किया जाएगा। यह दस चरणों में होगा और हर चरण में 1.9 लाख भगीरथ तैयार किये जायेंगे।”

इस बीच ‘बुंदेलखण्ड आजाद सेना’ के अध्यक्ष प्रमोद आजाद ने कहा, “केन नदी जिले के आधे वाशिन्दों की प्यास बुझाती आई है, लेकिन अब बालू माफिया इस नदी के अस्तित्व के लिए खतरा बन चुके हैं। इसलिए नदी को बचाने के लिए सभी को भगीरथ बनना होगा।”

‘नारी इंसाफ सेना’ की अध्यक्ष वर्षा भारतीय ने कहा कि उनके संगठन की महिलाएं केन नदी को बचाने के लिए शुरू हुई इस मुहिम से जुड़ चुकी हैं और इसे हर व्यक्ति की आवाज बनाने की कोशिश में लगी हुई हैं।

‘बुंदेलखंड इंसाफ सेना’ के प्रमुख ए.एस. नोमानी ने कहा, “तमाम विरोधों के बाद भी केन नदी की जलधारा से बालू का अवैध खनन बन्द नहीं हो रहा है, जिससे जिला मुख्यालय के अलावा आधा सैकड़ा गांवों में भारी पेयजल संकट बढ़ गया है। यदि इस नदी को माफियाओं से न बचाया गया तो आगे आने वाली पीढ़ी केन नदी को सिर्फ किताबों में पढ़ सकेगी। इसलिए मानव समाज को ‘मैं भी भगीरथी’ मुहिम में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना होगा।”

पिछले दिनों ‘बुंदेलखंड किसान यूनियन’ से जुड़े किसान केन नदी को बचाने के लिए छह दिन तक आमरण अनशन करने के बाद केन नदी की जलधारा में ‘जल सत्याग्रह’ भी कर चुके हैं। अब सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप्प के जरिये यह मुहिम शुरू की गई है।

 

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