लखनऊ, 6 मार्च (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश की विद्युत पारेषण क्षमता 24,500 मेगावाट हो गई है। राज्य के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने बिजली की उपलब्धता होने के बाद भी आपूर्ति की दिशा में कोई प्रयास नहीं किया और इसके चलते आपूर्ति व्यवस्था खराब रही। वहीं भाजपा सरकार ने पारेषण तंत्र में जरूरी सुधारों पर प्राथमिकता से काम किया। ऊर्जा मंत्री ने यहां जारी एक बयान में कहा है, “सपा सरकार के समय ग्रिड की पारेषण क्षमता 16,500 मेगावाट थी। (भाजपा) सरकार के गठन के बाद से ही हमने इस दिशा में काम किया और पिछले वर्ष 21 हजार से भी ज्यादा की पीक डिमांड को पूरा किया। इस वर्ष यह क्षमता बढ़कर 24500 मेगावाट हो गई है, जो इस वर्ष की संभावित 22000 मेगावाट की पीक डिमांड को पूरा करने में सहायक साबित होगी।”
उन्होंने बताया कि आयात क्षमता को भी 8700 मेगावाट से बढ़ाकर 13400 मेगावाट किया जा चुका है। ‘पावर फॉर आल’ समझौते के तहत अब तक निर्बाध आपूर्ति के लिए 92 नए पारेषण उपकेंद्र व उनकी लाइनों का निर्माण किया जा चुका है। इसमें 765 केवीए का 1, 400 केवीए के 9, 220 केवीए के 29 व 132 केवीए के 53 उपकेंद्र शामिल हैं। इनपर कुल 8848.47 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।
ऊर्जा मंत्री ने कहा, “आगामी गर्मियों को देखते हुए 20 निर्माणाधीन पारेषण उपकेंद्रों व अन्य आवश्यक लंबित कार्यो को मार्च से पहले पूरा कर लेने के निर्देश एमडी ट्रांसमिशन को दिए जा चुके हैं। वोल्टेज सुधार एवं गुणवत्तापूर्ण विद्युत आपूर्ति हेतु विद्युत प्रणाली में लगातार कैपेसिटर बैंक स्थापित किए जा रहे हैं।”
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