राम-सीता और रावण-विभीषण के नाम से चल रहे ट्विटर हैंडल, अयोध्या फैसले से पहले मेरठ पुलिस ने बैठाई जांच

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अयोध्या में रामजन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला किसी दिन आ सकता है। मामले की गंभीरता को देखते हुए देशभर में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए शासन-प्रशासन तमाम तरह के एहतियात बरत रहा है। कई राज्यों खासकर उत्तर प्रदेश पुलिस सोशल मीडिया पर भी करीबी नजर रख रही है। फेसबुक और व्हाट्सएप के अलावा ट्विटर पर भी पुलिस ने पैनी निगाह बना रखी है। इस दौरान यूपी पुलिस ने पाया कि ट्विटर पर भगवान राम, सीता, रावण, विभीषण सहित कई देवी-देवताओं के नाम से हैंडल मौजूद हैं और बाकायदा चलाए भी जा रहे हैं। अयोध्या प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले इन ट्विटर हैंडल से खूब धार्मिक टिप्पणियां भी हो रही हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, मेरठ पुलिस ने ऐसे ट्विटर हैंडल के बारे में छानबीन करनी शुरू कर दी है। पुलिस ने साइबर एक्सपर्ट्स की टीम को जांच में लगाया गया है। वहीं प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने ऐसे ट्विटर हैंडल के पीछे किसी साजिश की आशंका जताई है। वाजपेयी ने कहा कि अयोध्या प्रकरण पर फैसला आने से पहले मूल पहचान छिपाकर देवी-देवताओं के नाम से ट्विटर हैंडल बनाकर उनसे धार्मिक टिप्पणी करना एक साजिश भी हो सकती है। इस साजिश के पीछे कौन है, पुलिस को यह बेनकाब करना चाहिए।

मेरठ के एसएसपी अजय साहनी ने बताया कि देवी-देवताओं के नाम से बने कुछ ट्विटर हैंडल की जानकारी मिली है। पूरे प्रकरण में साइबर क्राइम सेल को जांच सौंप दी गई है। जांच में जो भी नाम सामने आएंगे, उनके खिलाफ आईटी एक्ट के तहत मुकदमा पंजीकृत होगा। अपनी पहचान छिपाकर भी ट्विटर हैंडल बनाना अपराध है।

गौरतलब है कि भगवान श्रीराम के नाम से बने ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट पर काफी लोगों ने आपत्ति दर्ज कराई है। ऐसे ही मंदोदरी और विभीषण नाम से बने ट्विटर हैंडल से भी कई ऐसे ट्वीट हुए हैं, जिनसे लोगों को आपत्ति है। ऐसे में पुलिस मान रही है कि अयोध्या प्रकरण पर फैसला आने से पहले ऐसे हैंडलों से हो रहे ट्वीट से माहौल खराब हो सकता। इन ट्विटर हैंडल के चलाने वालों ने अपनी पहचान उजागर नहीं की है। मसलन, भगवान श्रीराम के ट्विटर हैंडल में एड्रेस की जगह बैकुंठ लिखा है, वहीं सीता के नाम से चलाए जा रहे अकाउंट में अयोध्या और विभीषण नामक हैंडल में द किंग ऑफ लंका लिखा हुआ है।


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