पुणे। वरिष्ठ मराठी लेखिका मंदाकिनी भारद्वाज जी का निधन हो गया है। मंदाकिनी भारद्वाज ने अपने लेखन से उस समय के पारिवारिक इतिहास में बदलाव का चित्रण किया। 82 वर्षीय भारद्वाज का मंगलवार को निधन हो गया। मंदाकिनी बाबई को उपन्यास, अनुवाद और संपादन के लिए पिछले साल साहित्य संघ की ओर से लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से नवाज़ा गया था। उन्होंने कई कहानियां, उपन्यास लिखे। इसके अलावा दूसरी भाषाओं का मराठी अनुवाद भी किया।
‘मिळून साऱ्याजणी’ यानि सब लोग मिलकर, इस मासिक पत्रिका की शुरुआत से उन्होंने संपादन और लेखन शामिल हुई। उन्होंने ठाणे महाराष्ट्र, में साहित्य परिषद के कार्यकर्ता के रूप में काम किया था। वो ‘शब्दांगण’ मैग्ज़ीन की कुछ समय तक संपादक थी । पुणे में उन्होंने समकालीन पाठकों के लिए वाचश्री, गीतकाव्य पढ़ने वालो का समूह शुरू किया था। आसमान पर भी उन्होंने काफी श्रुतिका और कार्यक्रम सादर किये।
उन्होंने दिशा, संध्या, चकिया, चकवा, उपाख्यानों, जागते, हंसमुख, खिलाड़ी, सखी, खिलिया, हिंडोला, माणक पान, खतरे की बारी, रेबेका, कोना द शील्ड … जैसी कई किताबें पढ़ी हैं। मंदाकिनी को भी यात्रा से बहुत लगाव था। उन्होंने दुनिया भर में कई स्थानों की यात्रा की थी।
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