विज्ञान में सहयोग पर भारत-यूएई संधि को कैबिनेट की मंजूरी

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नई दिल्ली, 13 जनवरी (आईएएनएस)। भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) दोनों जल्द ही अरब सागर और ओमान सागर में सुनामी के कारण संभावित सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को नुकसान से बचने के लिए जलवायु सूचना सेवाओं और उष्णकटिबंधीय चक्रवात के पूवार्नुमान पर केंद्रित अनुभव एवं अनुसंधान का आदान-प्रदान शुरू करेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और संयुक्त अरब अमीरात के नेशनल सेंटर ऑफ मेट्रोलॉजी के बीच विज्ञान एवं तकनीकी सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन को मंजूरी दे दी।

मौसम संबंधी सेवाएं अर्थव्यवस्था के मौसम पर निर्भर क्षेत्रों की कार्यकुशलता बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान करती हैं। इसके साथ ही वे क्षेत्र की आर्थिक प्रगति के महत्वपूर्ण कारकों-कृषि, परिवहन और जल आदि जैसे मौसम पर निर्भर आर्थिक क्षेत्रों को उत्पन्न खतरे का भी प्रबंधन करती हैं।

इस समझौता ज्ञापन (एमओयू) के तहत जानकारी, आंकड़ों एवं मौसम विज्ञान, भूकंप विज्ञान और समुद्र विज्ञान से संबंधित उत्पादों जैसे रडार, उपग्रह और ज्वार मापने वाले उपकरण तथा भूकंप और मौसम विज्ञान केंद्रों के संबंध में आदान-प्रदान का प्रस्ताव है।

दोनों देश जलवायु सूचना सेवाओं पर केंद्रित अनुसंधान, प्रशिक्षण और परामर्श के उद्देश्य के लिए अपने वैज्ञानिकों, अनुसंधान विद्वानों और विशेषज्ञों के अनुभव का आदान-प्रदान करेंगे।

भारत और यूएई उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के पूवार्नुमान के लिए उपग्रह डेटा उपयोग पर अनुभव साझा करेंगे। दोनों देश इसके संबंध में वैज्ञानिक और तकनीकी जानकारी का आदान-प्रदान भी करेंगे।

दोनों पक्ष आपसी सहमति से समुद्री जल पर समुद्र विज्ञान पर्यवेक्षण नेटवर्क स्थापित करेंगे। भारत और संयुक्त अरब अमीरात के पूर्वोत्तर क्षेत्र को प्रभावित करने वाला ओमान सागर और अरब सागर में उठने वाली सुनामी के अधिक विश्वसनीय और तीव्र पूवार्नुमान के लिए सुनामी मॉडल के बारे में अनुसंधान की विशिष्ट क्षमता के निर्माण में भी सहयोग साझा किया जाएगा।

सुनामी पूर्व चेतावनी केंद्रों में सुनामी पूवार्नुमान कार्य के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया पूवार्नुमान संबंधी सॉफ्टवेयर स्थापित करने के लिए सहयोग भी किया जाएगा। अरब सागर और ओमान सागर में सुनामी की स्थिति उत्पन्न करने में सहायक भूकंप संबंधी गतिविधियों की निगरानी के लिए भारत के दक्षिण पश्चिम और संयुक्त अरब अमीरात के उत्तर में स्थापित भूकंप मापी केंद्रों से प्राप्त वास्तविक आंकड़ों का आदान-प्रदान करने पर भी सहमति बनी है।

इसके साथ ही भूकंप विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग भी होगा, जिसके तहत अरब सागर और ओमान सागर में सुनामी पैदा करने में सक्षम भूकंप संबंधी गतिविधियों का अध्ययन किया जा सके।

वहीं रेत और धूल भरी आंधी के संबंध में पूर्व चेतावनी प्रणाली के क्षेत्र में जानकारी का आदान-प्रदान भी किया जाएगा।

–आईएएनएस

एकेके/एसजीके

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