विश्व पुस्तक मेले में राजकमल प्रकाशन का ‘जलसाघर’

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 नई दिल्ली, 4 जनवरी (आईएएनएस)| विश्व पुस्तक मेले में राजकमल प्रकाशन के स्टॉल का नाम ‘जलसाघर’ रखा गया है। यहां जलसा किताबों का होगा, लेखकों, पाठकों और रचनाधर्मिता से जुड़ी ढेर सारी बातों का होगा।

  70 साल की निरन्तर यात्रा को सम्प्रेषित करता राजकमल प्रकाशन का विशेष ‘लोगो’ भी इस मौके पर तैयार किया गया है। उम्र के 9 दशक पार कर चुकीं कृष्णा सोबती की सशक्त लेखनी का नायाब उदाहरण है उनका पहला उपन्यास है-‘चन्ना’। जो पाठकों के सामने अब तक आई नहीं थी। अब पहली बार यह राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित होकर सार्वजनिक हो रही है। यह दस्तावेजी उपन्यास पाठकों के लिए मेले की खास प्रस्तुति है।

मेले में आने वाली खास किताबों में इस साल बुकर पुरस्कार से सम्मानित लेखिका अरूंधति रॉय के उपन्यास–द मिनिस्ट्री ऑफ अटमोस्ट हैप्पीनेस के हिंदी और उर्दू अनुवाद हैं। हिंदी में यह ‘अपार खुशी का घराना’ (अनुवादक : मंगलेश डबराल) और उर्दू में ‘बेपनाह शादमानी की मुमलकत’ (अनुवादक : अजुर्मंद आरा) नाम से 9 जनवरी से उपलब्ध होगा। अब तक यह उपन्यास 49 भाषाओं में छप चुका है।

विश्वप्रसिद्ध एवं निर्वासित लेखिका तसलीमा नसरीन के बहुचर्चित उपन्यास ‘लज्जा’ की उत्तरकथा ‘बेशरम’ का लोकार्पण राजकमल प्रकाशन के स्टॉल पर किया जाएगा। यह किताब साम्प्रदायिकता की आग में झुलसे जीवनों की कहानी है।

मशहूर अभिनेता एवं स्क्रीनप्ले राइटर सौरभ शुक्ला का चर्चित नाटक ‘बर्फ़’ पहली बार किताब की शक्ल में छप रही है। कश्मीर के लोगो के जीवन को देखने का यह बेहद संवेदनशील नजरिया है जो उन्माद एवं झूठ-सच के जाल में झूल रहे सभी पाठकों के लिये एक जरूर पढ़ी जाने वाली किताब होगी।

विभाजन का दंश भारत की आजादी के साथ मिली एक गहरी टीस है। सत्तर साल के बाद भी हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे का सवाल रोज हमारे अखबारों, टीवी चैनलों से निकलकर, सड़क पर भीड़ के उन्माद का कारण बन रहा है। लेकिन साहित्य अब भी प्यार और उम्मीद की लौ को जगाए रखे हुए है। इसी का उदाहरण है भालचन्द्र जोशी का उपन्यास ‘जस का फूल’, ईश मधु तलवार का उपन्यास ‘रिनाला-खुर्द’, शरद पगारे का उपन्यास ‘गुलारा बेगम’ और त्रिलोकनाथ पाण्डेय का उपन्यास ‘प्रेम लहरी’। ये चारों उपन्यास वर्तमान परिस्थितियों में परस्पर विश्वास के सिरे को थामे रखने का कारण देती हैं।

भारत की राजनीति के कई उलझे सिरों को समझने के लिये सच्चिदानंद सिन्हा की किताब ‘आजादी का अपूर्व अनुभव’ तथा गुणाकर मुले की ‘भारत: इतिहास और संस्कृति’ किताब पठनीय किताबें हैं।

इस साल ‘लेखक से मिलिए’ कार्यक्रम के जरिए पाठक लेखकों से सीधे मुखातिब हों सकेंगे। अनामिका, अब्दुल बिस्मिल्लाह, सोपान जोशी, शिवमूर्ति, मैत्रेयी पुष्पा, अखिलेश, वीरेन्द्र यादव, ऋषिकेश सुलभ, अल्पना मिश्र, गौरव सोलंकी, विनीत कुमार, नवीन चौधरी के साथ- साथ और भी महत्वपूर्ण लेखकों की उपस्थिति मेले की रौनक बढ़ाएगी ।

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