वजीरगंज के मुस्लिम बच्चे गाते हैं सुमधुर वेद ऋचाएं

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गोंडा, 22 दिसंबर (आईएएनएस)| इन दिनों नागरिकता संशोधन (सीएए) और एनआरसी को लेकर पूरे देश में घमासान मचा है। धर्म के आधार पर भेदभाव की बात कही जा रही है, लेकिन गोंडा जिले के वजीरगंज के एक स्कूल में पढ़ने वाले मुस्लिम बच्चों के कंठ से संस्कृत की वेद ऋचाएं निकल रही हैं। इनकी सुमधुर आवाज अनायास ही सबकी निगाहें अपनी ओर खींच रही है।

वजीरगंज के श्री स्वामी विवेकानंद संस्कृत उच्च माध्यमिक विद्यालय में ये बच्चे संस्कृत की पढ़ाई कर रहे हैं। एक साथ पढ़ने वाले हिंदू-मुस्लिम बच्चे न सिर्फ गीता के श्लोकों का अभ्यास कर रहे हैं, बल्कि ज्योतिष, दर्शन और कर्मकांड की भी पढ़ाई भी कर रहे हैं। यहां के मुस्लिम बच्चों के कंठ से निकलने वाला शांति पाठ ‘सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया’ लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहा है।

करीब आधा दर्जन मुस्लिम छात्र गायत्री मंत्र और संस्कृत श्लोक का उच्चारण फर्राटे से कर रहे हैं। अभिभावकों को भी कुछ बुरा नहीं लग रहा है। इनके लिए धर्म से अधिक ज्ञान मायने रखता है।

उत्तर प्रदेश के गोंडा-अयोध्या हाइवे पर वजीरगंज विकास खंड मुख्यालय के बगल में स्थित श्री स्वामी विवेकानंद संस्कृत उच्च माध्यमिक विद्यालय में वर्ष 2019 में 7 और वर्ष 2018 में भी 7 मुस्लिम छात्रों ने दाखिला लिया था। वे संस्कृत भाषा लेकर दसवीं में उत्तीर्ण हुए। इस वर्ष भी संस्कृत स्कूल में दाखिला लेने वाले कुल 131 छात्रों में 7 संख्या मुस्लिम छात्रों की है।

वजीरगंज स्थित संस्कृत विद्यालय के प्रधानाचार्य अश्वनी कुमार सिंह ने आईएएनएस को बताया, “हमारे विद्यालय को सरकार से अनुदान मिलता है। यह विद्यालय वर्ष 1981 से ही चल रहा है। वर्ष 1994 से मुस्लिम बच्चे यहां पर प्रवेश लेने लगे हैं। तब से लेकर अभी तक यह सिलसिला चल रहा है। अभी हमारे यहां बच्चों की संख्या 132 है। यहां पर पढ़ने वाले छात्र बिना भेदभाव के संस्कृत की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।”

उन्होंने बताया कि इनके संस्कृत पढ़ने पर अभिभावकों और किसी को कोई एतराज नहीं है। इन बच्चों को गीता और गायत्री मंत्र कंठस्त हैं। इन बच्चों की पढ़ाई के बीच में कभी धर्म-मजहब नहीं आया है।

छात्र साहिल रजा ने बताया, “मैं उत्तर मध्यमा कक्षा में पढ़ रहा हूं। मुझे गीता के श्लोक और गायत्री मंत्र जुबानी याद हैं। यहां मैं चार सालों से पढ़ रहा हूं। संस्कृत मेरा रुचिकर विषय है। हमारे अभिभावक किसान होते हुए भी संस्कृत पढ़ने को प्रेरित करते हैं।”

वहीं, अजमत अली ने कहा कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है, इसलिए उनके अभिभावक ने इसकी पढ़ाई कराने का फैसला किया है। उसने कहा, “संस्कृत के जरिए ही मैं उपशास्त्री (इंटर) शास्त्री (स्नातक) और आचार्य (परास्नातक) करना चाहता हूं।”

गुलौली बलरामपुर निवासी दसवीं का छात्र अनवर अली, आगे की पढ़ाई संस्कृत माध्यम से करना चाहता है। गुलाम अली के लिए संस्कृत पसंदीदा विषय है।

ये छात्र 8वीं के बाद पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों को भी स्कूल आने को प्रेरित करते हैं। वे ज्ञानवान बनकर देशसेवा और समर्पण भाव को खुद में जगाने की ललक पैदा करने को प्रयासरत हैं।

संस्कृत उच्च विद्यालय में पढ़ने वाले मुस्लिम विद्यार्थियों में चांद बाबू, मैनुद्दीन और शेर खां अपना घर चलाने के लिए सुबह-शाम दिहाड़ी मजदूरी भी करते हैं।

वेद, ज्योतिष, दर्शन और कर्मकांड की पढ़ाई करने वाले ये मुस्लिम छात्र उन लोगों को आईना दिखा रहे हैं जो योग को भी धर्म के चश्मे से देखते हैं और सीएए और एनआरसी जैसे मुद्दे पर हायतौबा मचा रहे हैं।

 

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