वुहान से भारतीयों को स्वदेश लाने का काम पूरा (लीड-1)

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नई दिल्ली/बीजिंग, 2 फरवरी (आईएएनएस)| कोरोना वायरस महामारी के केंद्र चीन के वुहान शहर में फंसे भारतीयों को स्वदेश लाने का काम पूरा हो गया है। दो चरणों में करीब 650 लोगों को सुरक्षित भारत लाया गया है। भारतीय विमान से रविवार को चीन से 323 भारतीयों के साथ मालदीव के सात नागरिकों को भी भारत लाया गया। इससे पहले शनिवार को भी एयर इंडिया बोइंग 747 विमान से 324 भारतीयों को स्वेदश लाया गया था।

अपने ट्वीट में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत, भारतीय नागरिकों के साथ मालदीव को सात नागरिकों को भी लेकर आया है, क्योंकि भारत अपने पड़ोसियों की चिंता करता है।

उन्होंने ‘हैशटेग नेबरहुडफर्स्ट एट वर्क अगेन’ ट्वीट किया और इस ट्वीट में मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह और पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नाशीद व विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद को भी टैग किया।

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि लोगों को स्वदेश लाने की प्रक्रिया पूरी हो गई है, हालांकि बुखार और फ्लू जैसे लक्षण वाले छह भारतीय रविवार को एयर इंडिया के दूसरे विमान से भारत नहीं आ सके।

एक अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, “हमने बोइंग 747 की दो उड़ानों को भेजने का फैसला किया था और उन्होंने योजना के अनुसार 650 भारतीयों को दो दिनों में भेजने का फैसला किया। हालांकि छह भारतीयों को सहमति फॉर्मो की वजह से वहीं छोड़ना पड़ा, जिसपर वहां से निकलने वाले सभी लोगों को हस्ताक्षर करना पड़ता है। वहां से निकलने से पहले सभी को बेसिक स्क्रीनिंग के बाद मेडिकल क्लीरियेंस प्राप्त करना जरूरी है।”

मध्य चीन के हुबेई प्रांत के वुहान शहर की आबादी कुल 1.1 करोड़ है, जहां लोग कोरोना वायरस फैलने के बाद काफी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। यहां इस वायरस से अब तक 300 लोगों की मौत हो गई है और 14,000 लोग इससे प्रभावित हैं।

हालांकि सरकार ने कई भारतीय समूहों के साथ ऑनलाईन सहमति फॉर्मो को साझा किया था, जिस पर सशर्त निकासी के लिए हस्ताक्षर करना जरूरी है। भारत पहुंचने पर एकांत में रखने के शर्त के अलावा, सरकार ने यह भी कहा कि प्रारंभिक मेडिकल जांच के आधार पर किसी व्यक्ति की निकासी को रद्द किया जा सकता है।

बीजिंग में मौजूद आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि कुछ भारतीय खुद ही भारत नहीं आना चाहते हैं। कुछ छात्र अपनी पढ़ाई छोड़ वापस भारत जाने में समय बर्बाद नहीं करना चाहते हैं। दूसरी ओर, कुछ छात्र इस प्रक्रिया में कोरोना वायरस के फैलने के डर से भारत नहीं जाना चाहते हैं।

 

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