झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के गुदड़ी थाना के बुरुगुलीकेरा गांव में सात लोगों की हत्या कर दी गई। आरोप है कि पत्थलगड़ी आंदोलन के समर्थकों ने पत्थलगड़ी का विरोध करने पर पर इनलोगों का पहले अपहरण किया और फिर जंगल में ले जाकर इनकी हत्या कर दी। इस घटना के बाद पत्थलगड़ी आंदोलन एक बार फिर चर्चा में आ गया है।
कहा जाता है कि आदिवासी समुदायों में पत्थलगड़ी (बड़ा शिलालेख गाड़ने) की परंपरा पुरानी है। इसमें मौजा, सीमाना, ग्रामसभा और अधिकार की जानकारी लिखी जाती है। वंशावली, पुरखे तथा मरनी (मृत व्यक्ति) की याद में पत्थर पर पूरी जानकारी लिखी होती है। यह आंदोलन 2017-18 में तब शुरू हुआ था, जब बड़े-बड़े पत्थर गांव के बाहर शिलापट्ट की तरह लगा दिए गए थे। यह एक आंदोलन के रूप में व्यापक होता चला गया। लिहाजा इसे पत्थलगड़ी आंदोलन का नाम दिया गया।
इस आंदोलन के तहत आदिवासियों ने बड़े-बड़े पत्थरों पर संविधान की 5वीं अनुसूची में आदिवासियों के लिए प्रदान किए गए अधिकारों को लिख-लिख कर जगह-जगह जमीन के ऊपर लगा दिया। इसके समर्थकों का कहना है कि वही देश के असली मालिक हैं, उन पर कोई शासन नहीं कर सकता।
झारखंड: पत्थलगड़ी आंदोलन का विरोध करने पर 7 लोगों की हत्या, सभी शव बरामद
This post was last modified on January 22, 2020 3:38 PM
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