कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन ने यूं तो दुनियाभर के लोगों का जीवन बुरी तरह प्रभावित किया है। लेकिन इसका ज्यादा असर कामकाजी महिलाओं के करिअर पर भी पड़ा है। दअसल जो महिलाएं वर्क फ्रॉम होम कर रही हैं, उनके लिए अपने करिअर के साथ-साथ बच्चों की जिम्मेदारी संभालना भी मुश्किल हो गया नहै।
एक ताजा स्टडी में ये देखा गया है कि इस महामारी और लॉकडाउन का असर वर्किंग वुमन पर किस तरह हुआ है। ”चैरिटी प्रेग्नेंट देन स्क्रूड” द्वारा की गई रिसर्च के अनुसार महिलाओं के लिए ऑफिस का काम घर से करते हुए बच्चों की देखभाल करना भी किसी नई चुनौती से कम नहीं है।
यह सर्वे 19,950 मांओं और गर्भवती महिलाओं पर किया गया। इनमें से 72% महिलाओं का कहना है कि वर्क फ्रॉम होम के दौरान बच्चों की देखभाल करते हुए उनके पास ऑफिशियल वर्क के लिए कम समय मिल पाता है। इसी तरह 65% मांएं ऑफिस के काम को मैनेज न कर पाने की वजह चाइल्ड केयर मानती हैं। वहीं 74% बिजनेस वुमन की कमाई में बच्चों की देखभाल की वजह से भारी कमी आई है।
प्रेग्नेंट देन स्क्रूड की संस्थापक और सीईओ जॉली बार्ले के अनुसार पिछले तीन सालों में जिन वर्किंग वुमन ने मेटरनिटी लीव ली थीं, उन्हें मिलने वाला प्रशासन का सपोर्ट आधा हो गया। दो बार मेटरनिटी लीव लेने वाली महिलाओं का करिअर भी काफी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। मेटरनिटी लीव लेने वाले पिता इस बदलाव से दूर ही रहे। उन्हें आर्थिक रूप से भी किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ।
जबकि सर्वे के अनुसार 46% महिलाओं को उनकी प्रेग्नेंसी की वजह से सस्पेंड किया गया है। इनमें से 33% महिलाओं को थोड़े दिन की छुट्टी दी गई वहीं 13% महिलाओं को सिक पे लेने के लिए कहा गया, साथ ही उन पर ये भी दबाव रहा कि वे चाहें तो मेटरनिटी लीव लेकर घर में रह सकती हैं।
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