World Breastfeeding Week 2019: आज से शुरु हो रहा है विश्व स्तनपान सप्ताह, जानें इसका महत्त्व

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World Breastfeeding Day 2019: कहा जाता है कि बच्चे को दिया गया मां का पहला दूध किसी अमृत से कम नहीं है। आज से विश्व स्तनपान दिवस सप्ताह की शुरूआत हो चुकी है। विश्व स्तनपान दिवस का मकसद महिलाओं को इसके प्रति जागरूक करना है। स्तनपान सिर्फ बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए ही जरूरी नहीं बल्कि ये महिलाओं को भी कई गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर और ऑस्टियोपोरोसिस से दूर रखता है।

क्यों मनाया जाता है विश्व स्तनपान दिवस

बदलती जीवनशैली और कामकाज में महिलाएं इतनी व्यस्त रहती है कि उन्हें अपने बच्चे को स्तनपान करवाने का समय ही नहीं मिलता। स्तनपान संबंधी जानकारी और इसके फायदे समझाने के लिए ये सप्ताह मनाया जाता है। यह सप्ताह केवल घरों में ही नहीं बल्कि कार्यालयों में भी इस प्रकार का माहौल बनाने पर बल देता है जिससे कि स्तनपान कराने वाली महिलाओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

ये है स्तनपान के फायदे

–  बच्चे को डायरिया जैसे रोग की संभावना कम हो जाती है।

–  मां के दूध में मौजूद तत्व बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।

–  स्तनपान कराने से मां व बच्चे के मध्य भावनात्मक लगाव बढ़ता है।

–  मां का दूध न मिलने पर बच्चे में कुपोषण व सूखा रोग की संभावना बढ़ जाती है।

–  स्तनपान करानो से मां को स्तन केंसर की संभावना कम हो जाती है।

–  यह बच्चे के मस्तिष्क के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका का निभाता है।

मां के स्तनपान कराने से होते है ये फायदे

–  यह स्तन व डिम्बग्रंथि के कैंसर की संभावना को कम करता है।

–  यह प्रसव पूर्व खून बहने और एनीमिया की संभावना को कम करता है।

–  यह मां को अपनी पुरानी शारीरिक संरचना वापस प्राप्त करने में सहायता करता हैं। स्तनपान कराने वाली माताओं के बीच मोटापा सामान्यत कम पाया जाता है।

यूनिसेफ द्वारा 194 देशों में ग्लोबल ब्रेस्टफीडिंग स्कोर कार्ड शोध के कुछ चौंकाने वाले तथ्य

–  विश्व में 45 प्रतिशत से भी कम नवजात शिशुओं को जन्म के एक घंटे के भीतर मां का दूध प्राप्त होता है।

–  विश्व में केवल 38 प्रतिशत बच्चों को छह माह तक केवल स्तनपान कराया जाता है। भारत में यह आंकड़ा पिछले दस वर्षो में 46 प्रतिशत से बढ़कर 55 प्रतिशत हो गया है, जो कि सराहनीय है। हालांकि उत्तर प्रदेश में इसी आंकड़े में 10 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो कि चिंताजनक है।

–  विश्व में सिर्फ 23 राष्ट्र हैं जिनमें कम से कम 60 प्रतिशत शिशुओं को सिर्फ स्तनपान कराया जाता है। इनमें नेपाल व श्रीलंका शामिल हैं, पर भारत नहीं।

–  WHO के अनुसार अगर विश्वभर में सभी शिशुओं को छह माह तक केवल स्तनपान कराया जाए तो भविष्य में पांच वर्ष तक की आयु वाले लगभग पांच लाख बीस हजार बच्चों को मृत्यु से बचाया जा सकता है। ऐसा करने पर अगले दस वर्षो में विश्व को लगभग दो सौ खरब रुपयों का आर्थिक लाभ होगा।

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