आज विश्व कैंसर दिवस है। दुनियाभर में बड़े पैमाने पर लोग इस बिमारी की चपेट में हैं। चिकित्सकों का कहना है कि कैंसर के कारण देश में होने वाली 22 फीसदी मौतों का कारण पैसिव स्मोकिंग हैं। वहीं निम्न आयवर्ग वाले देशों में हेपेटाइटिस और पेपिलोमा वायरस का संक्रमण कैंसर के 25 फीसदी मामलों का कारक हैं। हर चार फरवरी को कैंसर के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए विश्व कैंसर दिवस (World Cancer Day 2019) मनाया जाता है। चिकित्सकों ने बताया है कि कुछ उपाय अपनाकर पर्यावरणीय कारकों से होने वाले कैंसर से बचा जा सकता है। पर्यावरणीय कारकों से होने वाले कैंसर से बचने में मददगार कुछ महत्वपूर्ण उपाय का ख्याल रख इस खतरे को कम किया जा सकता है…..
दिल्ली, कोलकाता सहित अन्य कई शहरों में प्रदूषण अपने घातक स्तर पर पहुंच गया है। अच्छा होगा कि इन शहरों में रहने वाले लोग धूल, कार एवं फैक्टरी से निकलने वाले धुएं, निर्माण स्थलों से निकलने वाली धूल, तंबाकू के धुएं (एक्टिव और पैसिव) से बचने के लिए मास्क का इस्तेमाल करें। साथ ही वायु प्रदूषण के कारणों को पहचान कर इन्हें कम करने की जरूरत है। जागरूकता के द्वारा फेफड़ों के कैंसर को कम करने के लिए जरूरी कदम उठाए जा सकते हैं।
आजकल खाद्य पदार्थों में कृत्रिम रंगों का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है। सब्जियों और फलों में इस्तेमाल किए जाने वाले कीटनाशक या खाद्य पदार्थों में इस्तेमाल होने वाले आर्टीफिशियल कलर, प्रिजरवेटिव आदि स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं। इनका बहुत ज्यादा मात्रा में सेवन कैंसर का कारण बन सकता है। इसलिए इन चीजों से बचने की कोशिश करें, खाद्य पदार्थो के ऑर्गेनिक विकल्प अपनाएं।
अच्छी सेहत के लिए साफ पानी होना बहुत जरूरी है। हमें सुनिश्चित करना होगा कि हमारे आस-पास मौजूद वाटर बॉडीज (जल निकायों) को जैविक एवं ओद्यौगिक प्रदूषकों से संदूषित न होने दिया जाए। पानी में डाले जाने वाले रसायन और व्यर्थ पदार्थ पेट एवं लिवर की बीमारियों जैसे हेपेटाइटिस का कारण बन सकते हैं और यह कैंसर का रूप भी ले सकता है। हाल ही में पानी में आर्सेनिक का स्तर बढ़ने के कारण त्वचा के कैंसर के मामले भी बढ़ रहे हैं। ऐसे में वायु प्रदूषण की रोकथाम के प्रयास कैंसर के मामलों को कम करने में मददगार हो सकते हैं।
अगर आपका काम ऐसा है कि आप काम के दौरान हानिकर रसायनों जैसे एस्बेस्टॉस, बेंजीन एवं अन्य सॉल्वेंट्स, आर्सेनिक उत्पादों, डाई-ऑक्सिन, क्रोमियम, लेड, फाइबर आदि के संपर्क में आते हैं तो कैंसर की संभावना बढ़ती है। इसलिए उद्योगों में काम करने वालों को रोकथाम के उपाय अपनाने चाहिए। जोखिम वाले क्षेत्रों में अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
विश्व कैंसर दिवस: मप्र में हर साल तंबाकू से मरते हैं 90 हजार लोग
कैंसर को रोका भी जा सकता है : विशेषज्ञ (विश्व कैंसर दिवस)
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