World Nature Conservation Day 2020: विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस हर साल 28 जुलाई को मनाया जाता है। विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके जीव−जंतु और वनस्पति की रक्षा के लिए इस दिवस को मनाया जाता है। हर साल मनाए जाने वाले इस दिवस पर लोगों का ज्यादा से ज्यादा जागरूक किया जाता है कि पर्यावरण को बचाएं, पेड़ों को ना काटें और जानवरों का शिकार न किया जाएं।
पिछले कुछ सालों में प्रकृति ने जिस अपना स्वरूप बदला है वो वाकई हैरान करने वाला है। लगातार विकराल एवं भीषण आकार ले रही गर्मी, सिकुड़ रहे जलस्रोत एक नए विनाश की कहानी लिख रहे है। प्रदूषण, नष्ट होता पर्यावरण, दूषित गैसों से छिद्रित होती ओजोन की ढाल, प्रकृति एवं पर्यावरण का अत्यधिक दोहन− ये सब पृथ्वी एवं पृथ्वीवासियों के लिए सबसे बडे़ खतरे हैं।
विलुप्त (Vanish) होते पेड़-पौधे और अलग-अलग नस्ल के जानवरों को मद्देनजर रखते हुए इस दिवस को हर साल मनाया जाता है। पुराने समय में जहां प्रकृति का अद्भुत नजारा देखने को मिलता था, वहीं आज के इस दौर में ये विलुप्त होते जा रहे हैं। लेकिन धरती पर आज भी कई ऐसी जगह बची हुई हैं, जहां प्रकृति अपने एक अलग अंदाज में खूबसूरती बिखेरती नजर आती है।
प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा को लेकर दुनियाभर के लोगों जागरूकता करने के लिए इस दिन को मनाने की शुरूआत की गई। इस बात से भला कौन वाकिफ नहीं कि दुनिया में सबसे समृद्ध देश वही हुए हैं, जहां जल, जंगल और जमीन पर्याप्त मात्रा में हों। प्रकृति बची रहेगी, तभी जीवन बचेगा।
हमारे देश में वन्य जीवों की विभिन्न और विचित्र प्रजातियाँ पाई जाती हैं। ऐसे में विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस का उद्देश्य प्रकृति के संरक्षण के लिए जरूरी कदम उठाना है। प्रकृति में असंतुलन होने के कारण ही हमें कई ऐसी भयंकर आपदाओं का सामना करना पड़ता है। जिनसे पार पाना हमारे वश में नहीं होता।
ग्लोबल वॉर्मिंग, महामारियां, आपदा, तापमान का अनियंत्रित तौर पर बढ़ता जाना आदि समस्याएं प्रकृति में असंतुलन के कारण ही पैदा होती हैं। पिछले कुछ दिनों से लगातार कई भूकंप भी आ चुका है और आगे भी आने की संभावना जताई गई है। हम छोटे-छोटे प्रयासों से प्रकृति का संरक्षण कर सकते हैं।
जंगलों की अंधाधुंध कटाई नहीं करनी चाहिए।
पानी का उपयोग जरूरत के लिहाज से करें, किसी भी हाल में ज्यादा पानी बर्बाद न होने दें।
बारिश के पानी को स्टोर करने की व्यवस्था करें।
जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण न करें। ध्वनि प्रदूषण को सीमित करें।
हमारे दैनिक जीवन में यूज होने वाली प्लास्टिक, पॉलीथिन इस्तेमाल करना बंद करें और कागज, जूट या कपड़े की थैली इस्तेमाल करें।
स्मार्टफोन ने पिछले कुछ सालों में हमें सबसे ज्यादा बदला है। इस आधुनिक दौर में, सारे बिलों का भुगतान ऑनलाइन करें तो इससे कागज की काफी बचत हो सकेगी।
कार और गाड़ियों का प्रयोग सीमित ही करना चाहिए।
ज्यादा पैदल चलें और अधिक साइकिल चलाएं।
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