World Tuberculosis Day 2021: टीबी की बीमारी (TB disease) का सीधा प्रभाव छाती पर पड़ता है। कभी-कभी सांस लेने में भी परेशानी हो जाती है। कोरोनाकाल में टीबी मरीजों (TB patients) को अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। मरीजों को डॉक्टर की सलाह पर दवा का सेवन करते रहना चाहिए। आम तौर पर कुछ मरीज बीच में ही दवा छोड़ देते हैं। कोरोनाकाल (Corona era) में इस तरह की लापरवाही भारी पड़ सकती है। टीबी मरीजों (TB patients) को जागरूक करने के लिए 24 मार्च को विश्व क्षय रोग दिवस (World Tuberculosis Day ) मनाया जाता है।
बार की थीम ‘दी क्लॉक इस टिकिंग’ है। इसका उद्देश्य टीबी की रोकथाम के लिए समय-समय पर लोगों की जांच और इलाज के लिए जागरूक करना है। बीएचयू के टीबी एंड चेस्ट डिपार्टमेंट अध्यक्ष प्रो. जीएन श्रीवास्तव का कहना है कि आम तौर पर टीबी मरीजों का सवाल रहता है कि टीबी की दवा के साथ-साथ वैक्सीन लगवाई जाए या नहीं। जानना जरूरी है कि दवा के साथ वैक्सीन ले सकते हैं। साथ ही कोविड प्रोटोकॉल को भी नहीं भूलना चाहिए।
प्रो. जीएन श्रीवास्तव ने बताया कि सरकार की कई योजनाएं चल रही हैं। निक्षय पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य है। इसके बाद मरीज निशुल्क जांच और इलाज की सुविधा ले सकते हैं। घर के पास स्वास्थ्य केंद्र पर निशुल्क दवा भी मिल जाएगी। पोर्टल पर पंजीकरण कराने के अलावा एक कार्ड भी दिया जाता है। मरीजों को पोषण भत्ते के रूप में हर महीने 500 रुपये भी खाते में दिए जाते हैं।
डब्ल्यूएचओ ((WHO) के अनुसार, भारत में दुनिया के 24 परसेंट टीबी पेशेंट्स हैं। केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 तक देश से टीबी को पूरी तरह से समाप्त करने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत ही उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh)में पिछले 6 महीनों में सघन टीबी खोज अभियान के तीन चरण पूरे हो चुके हैं। इन तीन चरणों में 433 टीबी के मरीजों को खोजा गया है। ये ऐसे मरीज हैं, जिन्हें पता ही नहीं था कि टीबी जैसी घातक बीमारी उन्हें हो गई है, जिसके चलते अनजाने में ये मरीज अपने परिवार और आसपास के इलाके में टीबी के विषाणु फैला रहे थे। यही नहीं, धूल-मिट्टी और कंट्रक्शन वर्क से हो रहा पॉल्यूशन भी लोगों को टीबी की तरफ धकेल रहा है।
शरीर के जिस हिस्से में टीबी है, उसके मुताबिक टेस्ट होता है।
फेफड़ों की टीबी के लिए मरीज के बलगम की जांच होती है, जो सरकारी अस्पतालों और डॉट्स सेंटर पर फ्री में होती है।
टीबी नहीं मिलता है तो एएफबी कल्चर की जांच होती है, इसकी रिपोर्ट 6 हफ्ते में आती है।
इस जांच में यह भी पता चल जाता है कि किस लेवल का टीबी है और दवा असर करेगी या नहीं।
किडनी की टीबी के लिए यूरीन कल्चर टेस्ट होता है। यूटरस की टीबी के लिए सर्वाइकल स्वैब लेकर जांच होती है।
टीबी से बचने का सबसे आसान तरीका है कि इम्यूनिटी मजबूत करना।
न्यूट्रिशन से भरपूर खासकर प्रोटीन डाइट (सोयाबीन, दालें, मछली, अंडा, पनीर आदि) का सेवन करना चाहिए।
भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए।
कम रोशनी वाली और गंदी जगहों पर नहीं रहना चाहिए।
टीबी के मरीज से कम से कम एक मीटर की दूरी बनाकर रहना चाहिए।
ऐसे मरीज को मास्क पहनाकर रखना चाहिए।
टीबी के मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूकें और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंदकर डस्टबिन में डाल दें।
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