नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)| कई महिला पत्रकारों द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए जाने के बाद पूर्व संपादक एम.जे. अकबर ने विदेश राज्य मंत्री पद से बुधवार को इस्तीफा दे दिया। ‘मी टू’ अभियान के सामने आने और कई महिला पत्रकारों द्वारा अकबर के खिलाफ आरोप लगाए जाने के 10 दिन बाद भारतीय राजनीति में यह पहला इस्तीफा है। दो दिन पहले त्यागपत्र की संभावना से इंकार करने वाले 67 वर्षीय अकबर ने बुधवार को इस्तीफे की घोषणा करते हुए संक्षिप्त बयान में कहा कि वह इस बात को उचित मानते हैं कि अपने विरुद्ध लगे आरोपों का कानूनी रूप से निजी क्षमता से सामना करेंगे। उन्होंने अपना इस्तीफा रविवार को विदेश दौरा पूरा करके आने के दो दिन बाद दिया है।
इस मामले पर चुप्पी साधे रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विपक्ष लगातार हमलावर बना हुआ था। अकबर द्वारा मानहानि का मुकदमा दायर करने के बाद भी उनके ऊपर बढ़ते आरोपों के बीच उनका सरकार में बने रहना काफी मुश्किल प्रतीत हो रहा था।
अकबर ने कहा, “मैंने निजी क्षमता से कानून की अदालत में न्याय पाने का निर्णय लिया है, इसलिए मैं पद से हट जाने को उचित मानता हूं और मैं मेरे विरुद्ध लगे आरोपों के खिलाफ निजी क्षमता से लड़ूंगा।”
उन्होंने कहा, “इसलिए मैंने विदेश राज्य मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। मैं देश की सेवा करने का अवसर देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का बहुत आभारी हूं।”
विदेश दौरे से रविवार को वापस आने के बाद, मंत्री ने 15 महिला पत्रकारों द्वारा लगाए गए आरोपों को ‘फर्जी और आधारहीन’ बताया था और इसके साथ ही उन्होंने इन लोगों के खिलाफ मुकदमा करने की धमकी भी दी थी। आरोप लगाने वाली अधिकतर महिलाओं ने उनके अधीन एशियन एज अखबार में काम किया था।
अकबर ने उनके ऊपर सबसे पहले आरोप लगाने वाली महिला पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ सोमवार को मानहानि का मुकदमा किया।
67 वर्षीय अकबर वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए थे। उन्हें 2016 में सरकार में शामिल किया गया था।
उधर अकबर के खिलाफ यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ के आरोप लगाने वाली महिला पत्रकारों ने विदेश राज्य मंत्री पद से उनके इस्तीफे के बाद बुधवार को खुशी जाहिर की।
अकबर के खिलाफ सबसे पहले आरोप लगाने वाली और मानहानि के मुकदमे का सामना कर रहीं पत्रकार प्रिया रमानी ने अकबर के इस्तीफे के बाद कहा, “उनके रुख की पुष्टि हुई।”
रमानी ने ट्वीट किया, “एक महिला के तौर पर, एम.जे. अकबर के इस्तीफे से हम सही साबित हुए हैं। मैं उस दिन की ओर देख रही हूं, जब मुझे अदालत से भी न्याय मिलेगा।”
कई महिला पत्रकारों ने अकबर पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। अकबर ने प्रिया रमानी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा किया है और इन आरोपों को समाज में उनकी छवि को धूमिल करने वाला करार दिया है।
पत्रकार सुपर्णा शर्मा ने अकबर पर ‘उनकी ब्रा की स्ट्रेप खींचने का आरोप लगाया है।’ सुपर्णा ने कहा है कि उनके इस्तीफे से ही लड़ाई समाप्त नहीं हुई है।
शर्मा ने रविवार को अकबर के बयान के संदर्भ में कहा, “अकबर को बयान देने के बदले भारत पहुंचते ही तत्काल इस्तीफा देना चाहिए था।”
उन्होंने कहा, “जब उन्होंने बयान जारी किया था, ऐसा लगता था कि यह प्रिया रमानी बनाम सरकार है, अब उन्होंने इस्तीफा दे दिया है, इसलिए यह अकबर बनाम प्रिया रमानी है।”
उन्होंने साथ ही कहा कि पूर्व मंत्री को रमानी के खिलाफ मानहानि के मामले को वापस ले लेना चाहिए।
अकबर को ‘हिंसक’ करार देने वाली पत्रकार सबा नकवी ने कहा, “महाअष्टमी पर देवी दुर्गा ने राक्षस का खात्मा किया, एमजेअकबर गए..।”
आरोप लगाने वाली एक अन्य महिला पत्रकार हरिंदर बावेजा ने आश्चर्य जताया कि क्या अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अपनी चुप्पी तोड़ेंगे।
राष्ट्रीय महिला आयोग(एनसीडब्ल्यू) ने केंद्रीय मंत्री एम.जे. अकबर के इस्तीफे का बुधवार को स्वागत किया है। एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने आईएएनएस से कहा, “अंतत: सरकार ने महिलाओं की आवाज सुनी है और इसके अनुसार काम किया है।”
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