Yogini Ekadashi 2020: इस साल योगिनी एकादशी का व्रत 17 फरवरी को रखा जाएगा। हर साल आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को यह व्रत रखा जाता है। हिन्दू धर्म में इस व्रत की विशेष मान्यता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, योगिनी एकादशी व्रत को करने से 88 हजार ब्राह्राणों को भोजन करने के बराबर का फल मिलता है इसलिए इस व्रत का अपना विशेष महत्व है।
इस दिन भगवान विष्णु के साथ पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। ऐसा भी कहा जाता है कि आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन योगिनी एकादशी व्रत कथा को सुनने से व्रत का वास्तविक फल प्राप्त होता है।
एकादशी तिथि आरंभ 16 जून को सूर्योदय पूर्व तड़के 5.39 बजे से
एकादशी तिथि समाप्त 17 जून को प्रात: 7.49 बजे तक
पारण का समय 18 जून को प्रात: 5.28 से 8.14 बजे तक
दशमी तिथि को रात्रि का भोजन न करें।
एकादशी तिथि के दिन सूर्योदय पूर्व उठकर स्नान करें।
स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें। फिर एक कुंभ की स्थापना करें।
कुंभ के ऊपर भगवान विष्णु की प्रतिमा रख कर पूजन करें।
पीले पुष्प, धूप, दीप से पूजन कर मिष्ठान्न् का नैवेद्य लगाएं।
पूरे दिन व्रत रखते हुए रात्रि में जागरण करते हुए भगवान विष्णु की आराधना करें।
इस दिन प्रात: पीपल के पेड़ में कच्चे दूध में ताजा जल और बताशा डालकर अर्पित करने से आर्थिक तंगी दूर होती है।
शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे शुद्ध घी के सात दीपक लगाने से धन के भंडार भर जाते हैं।
इस दिन पीपल का पौधा भी रोपना चाहिए, जिससे मानसिक और शारीरिक परेशानी दूर होती है।
योगिनी एकादशी के दिन गजेंद्र मोक्ष का पाठ करना सबसे अच्छा माना गया है। इससे भगवान विष्णु की कृपा से सारे संकट दूर होते हैं।
भगवद्गीता के 11वें अध्याय का पाठ करने से जीवन की अनेक बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
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