यूएई : बुजुर्ग दंपति की देश वापसी में भारतीय मूल के दुबईवासी ने की मदद

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दुबई, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। तमिलनाडु के एक बुजुर्ग दंपति को वापस अपने देश भेजने के लिए संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में भारतीय प्रवासी आपस में एकजुट हो गए। यह बुजुर्ग शख्स जिस कंपनी में काम करते थे, वहां साल 2014 में एकाएक बंद हो गई, जिसके बाद से उन पर कर्ज का पहाड़ टूट पड़ा था।

यहां रहने वाले भारतीयों और दुबई में भारतीय वाणिज्य दूतावास के हवाले से गल्फ न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में बताया, 67 वर्षीय श्रीनिवासन और उनकी पत्नी राधिका (62) पिछले तीन दशकों से दुबई में खुशी-खुशी अपना जीवन बसर कर रहे थे। श्रीनिवासन यहीं एक कंपनी में जनरल मैनेजर के पद पर काम करते थे। उनकी जिंदगी में उस वक्त आफत आई, जब साल 2014 में श्रीनिवासन की कंपनी में अचानक ताला पड़ गया।

वाणिज्य दूतावास से एक अधिकारी ने कहा, नौकरी चले जाने के बाद भी वे यहीं रहे, क्योंकि उन पर किराये का मामला था, जिसे वे सालों से सुलझा नहीं पा रहे थे। इसके लिए उन पर यात्रा को लेकर भी प्रतिबंध लग गया। साल 2016 से वे बिना वीजा के यहां रह रहे थे और इस बीच उन्हें दिल की बीमारी भी हो गई।

दुबई में तमिल लेडीज एसोसिएशन (टीएलए) की अध्यक्ष मीनाकुमारी पथमनाथन ने कहा कि बुजुर्ग दंपति के लिए सामुदायिक सहायता की व्यवस्था करने में वाणिज्य दूतावास द्वारा उनसे संपर्क किया गया था।

उन्होंने बुधवार को गल्फ न्यूज को बताया, “अगस्त में जब उनका मामला मेरे पास आया, उस वक्त दोनों बेहद ही खराब स्थितियों में से होकर गुजर रहे थे। दिन में एक बार भोजन खरीदकर वे उससे पूरा दिन अपना गुजारा करते थे। कंपनी की तरफ से उनके लिए जहां रहने की व्यवस्था की गई थी, वहां से वे पहले ही निकाल दिए गए थे, जिसके चलते वे 1,90,000 दिरहम किराये के मामले का सामना कर रहे थे।”

उन्होंने एसोसिएशन के सदस्यों से कहा कि वे बुजुर्ग दंपति के लिए करामा में किसी कम बजट वाले स्थान पर रहने की व्यवस्था कर दें और साथ ही करामा के श्री ऐश्वर्या वेजिटेरियन रेस्टोरेंट की तरफ से उनके लिए बिना पैसे के भोजन की भी व्यवस्था की गई।

मीनाकुमारी ने आगे कहा, “दुबई कम्प्यूटर ग्रुप में शामिल उमा शंकरी कृष्णमूर्ति ने उस रियल स्टेट कंपनी से मोलभाव की और उनके किराये के बकाया राशि को घटाकर 50,000 दिरहम कर उनकी तरफ मदद का हाथ बढ़ाया।”

समुदाय के सदस्यों और एक अन्य व्यवसायी सिद्धार्थ बालचंद्रन ने राशि का निपटान करने और मामले को बंद करने में उनकी मदद की।

उन्होंने आगे यह भी बताया, “समुदाय के स्वयंसेवकों सेंथिल प्रभाकरन और सुब्रमण्यम गणपति ने इस मुद्दे को हल करने के लिए सभी कागजी कामकाजों को अंजाम दिया और लायंस क्लब ने उनके लिए टिकट के पैसे जुटाए और वाणिज्य दूतावास ने उनके सामने टिकट की पेशकश की।”

कई कानूनी पचड़ों के चलते सालों से दुबई में फंसे रहे श्रीनिवासन और राधिका आखिरकार सोमवार को भारत वापसी की।

–आईएएनएस

एएसएन/एसजीके

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