नई दिल्ली | राज्यसभा ने आतंकी गतिविधियों में संलिप्त लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए शुक्रवार को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम-1967 (यूएपीए) में संशोधन को पारित कर दिया। राज्यसभा में इस संशोधन विधेयक का कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने विरोध किया। इस दौरान विपक्ष ने विधेयक को चयन समिति के पास भेजने की मांग भी की। विधेयक के पारित होने के दौरान कुछ सदस्यों ने मत विभाजन की अपील की, जिसके बाद 147 सदस्यों ने इसके पक्ष में, जबकि 42 सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया।
लोकसभा ने पहले ही विधेयक को पारित कर दिया था। इस विधेयक के तहत सरकार ऐसे लोगों को आतंकवादियों के तौर पर चिन्हित कर सकती है, जो आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त हैं, आतंक के लिए किसी को तैयार करते हैं या इसे बढ़ावा देते हैं।
बहस का जवाब देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि आतंकवादियों को व्यक्तिगत रूप से चिन्हित करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह देखा गया है कि जब किसी आतंकवादी संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है तो आतंकवादी कोई दूसरा संगठन बना लेते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका, इजरायल, पाकिस्तान और चीन जैसे देश लोगों को व्यक्तिगत तौर पर आतंकवादी घोषित करते हैं।
कई विपक्षी दलों ने प्रावधान का विरोध करते हुए कहा कि इसका दुरुपयोग हो सकता है।
कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि एक संगठन को आतंकवादी के रूप में चिन्हित करना एक व्यक्ति की ब्रांडिंग से अलग है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह प्रावधान व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है।
इस विधेयक के अन्य प्रमुख प्रावधानों की बात करें तो यह राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के महानिदेशक को यह अधिकार देता है कि वह किसी मामले की जांच के दौरान संपत्ति को जब्त या कुर्क कर सके।
जबकि मौजूदा कानून में जांच अधिकारी को आतंकवाद से जुड़ी संपत्तियों को जब्त करने के लिए राज्य पुलिस प्रमुख की स्वीकृति लेनी जरूरी है।
सरकार का मानना है कि कई मौकों पर आंतकियों के पास विभिन्न राज्यों में अपनी संपत्ति होती है। ऐसी परिस्थितियों में राज्य के पुलिस प्रमुखों की मंजूरी लेने में देरी हो सकती है, जोकि जांच में भी बाधा बनती है।
कांग्रेस ने हालांकि विधेयक में अधिकतर संशोधनों का समर्थन किया, मगर पार्टी ने उस खंड का विरोध किया जो सरकार को किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने का अधिकार देता है।
चिदंबरम ने कहा कि पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हाफिज सईद और भीमा कोरेगांव हिंसा के लिए गिरफ्तार किए गए कार्यकर्ता गौतम नवलखा की तुलना नहीं की जा सकती।
गृहमंत्री शाह ने स्पष्ट किया कि विपक्षी नेताओं की दलील के अनुसार किसी व्यक्ति को धारणा और विश्वास पर आतंकवादी नहीं ठहराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को आतंकवादी के रूप में चिन्हित किए जाने से पहले चार चरणों में जांच होगी।
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This post was last modified on August 2, 2019 6:02 PM
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