यूपी में प्रियंका के प्रचार से कांग्रेस को मिल सकती है मजबूती

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नई दिल्ली, 21 फरवरी (आईएएनएस)। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में केवल एक सीट पर सिमट कर रह गई थी। अब अपनी खोई जमीन को दोबारा हासिल करने के लिए पार्टी एड़ी-चोटी को जोर लगा रही है। पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा प्रदेश में सियासी समीकरणों को बदलने एवं सत्तारूढ़ भाजपा के लिए कांग्रेस को मुख्य चुनौती बनाने की कोशिशों के साथ विभिन्न वर्गों के लिए प्रचार में जुटी हैं।

समाज के हाशिए पर खड़े लोगों को लुभाने के लिए वह कांग्रेस को भाजपा के लिए एक गंभीर चुनौती बनाने की कोशिश कर रही हैं। पश्चिमी यूपी में किसानों के मुद्दे को उठाने के बाद वह अब पूर्वी यूपी में मछुआरों के हित के लिए काम कर रही हैं। उनका पूरा ध्यान अब अन्य पिछड़ा वर्ग – निषाद समुदाय पर है, जो कभी समाजवादी पार्टी तो कभी बहुजन समाज पार्टी के साथ खड़ा था और अब भारतीय जनता पार्टी के साथ खड़ा है।

गौरतलब है कि प्रियंका गांधी ने हाल ही में मौनी अमावस्या पर प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर पवित्र स्नान किया था और नाविक सुजीत निषाद की नाव में यात्रा की थी, जिसने उन्हें स्थानीय नाविकों पर हो रहे अत्याचारों की जानकारी दी थी।

उन्होंने आश्वासन दिया था कि कांग्रेस नाविकों के अधिकारों के लिए कानूनी रूप से लड़ेगी और जब पार्टी सत्ता में आएगी, तो नाविकों को जमीन दी जाएगी।

अपनी प्रयागराज यात्रा के बाद कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि केवल कांग्रेस गरीबों के दर्द को समझती है।

प्रियंका गांधी को नए सिरे से शुरू करना होगा, चाहे पंचायत चुनाव हों या स्थानीय निकाय चुनाव, अथवा अगले साल विधानसभा चुनाव। कांग्रेस देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य में पैर जमाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। वह तीन दशकों से सत्ता से बाहर है।

किसानों के आंदोलन को प्रोत्साहन मिला है, लेकिन चुनाव तक इसे बनाए रखना मुश्किल काम है और भाजपा के आक्रामक हिंदुत्व का मुकाबला करना भी पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती है। लेकिन, प्रियंका गांधी लड़ रही हैं, और भाजपा पर निशाना साध रही हैं।

शनिवार को एक भाषण में उन्होंने कहा था कि हमारी पुरानी कहानियों में, राजा और रानी सत्ता जीतने के बाद अभिमानी हो जाते थे। दो बार प्रधानमंत्री बनने के बाद, पीएम भी अहंकार दिखा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को किसानों का सम्मान करना चाहिए। मोदीजी ने उन किसानों से बात क्यों नहीं की, जिन्होंने उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में चुना था? किसानों के साथ बातचीत शुरू की जानी चाहिए और उनकी समस्याओं को हल किया जाना चाहिए।

–आईएएनएस

एसआरएस-एसकेपी

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