आपातकाल में रूप बदलकर खुद को बचाते थे जॉर्ज

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 पटना, देश के पूर्व रक्षामंत्री, रेलमंत्री और समाजवाद के नेता माने जाने वाले जॉर्ज फर्नाडिस का 88 साल की उम्र में मंगलवार को निधन हो गया।

कांग्रेसवाद विरोध की राजनीति करने के लिए जाने जानेवाले जॉर्ज की पहचान आपताकाल के बाद एक मजदूर नेता से राजनेता की हुई थी। आपातकाल में जॉर्ज के साथ काम करने वाले लोगों को कहना है कि उस दौर में अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए वे अपना रूप बदलते थे और नए वेशभूषा में होते थे।

बिहार के जाने माने पत्रकार सुरेंद्र किशोर कहते हैं कि आपातकाल में फर्नांडिस ने अपना रूप बदल लिया था। गिरफ्तारी से बचने के लिए फर्नांडिस कभी ग्रामीण, कभी सिख, कभी मजदूर तो कभी पुजारी का रूप धारण कर लेते थे।

उन्होंने कहा, “पुलिस से बचने के लिए उन्होंने बाल और दाढ़ी बढ़ा रखी थी। कभी सिख का रूप धारण कर लेते थे। वे खुद को पत्रकार खुशवंत सिंह कहकर भी परिचय देते थे, जिससे उनकी पहचान छिपी रहे।”

जाने-माने राजनीतिक विश्लेषक किशोर कहते हैं कि आपातकाल के दौरान वे ‘जननायाक’ के रूप में उभरे थे। उन्होंने कहा कि उस दौर में वे जिस क्षेत्र में जाते थे, उसी क्षेत्र की परंपरा से जुड़ा हुलिया बना लेते थे। कई दिनों तक उन्होंने पादरी के वेशभूषा में खुद को रखा था। वे कहते हैं कि जॉर्ज कई भाषाओं के जानकार थे, यही कारण है कि उन्हें इस दौरान भाषाई परेशानी भी नहीं होती थी।

किशोर का कहना है कि उस समय उनकी सोच भगत सिंह की तरह ‘डायनामाइटी’ सोच थी। आपातकाल में जॉर्ज और उनके साथियों पर बड़ौदा डायनामाइट षड्यंत्र का मामला चला था। आरोप था कि पटना में जुलाई 1975 में जॉर्ज फर्नांडिस अपने साथियों के साथ मिलकर एक राष्ट्रद्रोही षड्यंत्र किया है, जिसमें देश के महत्वपूर्ण संस्थानों को उड़ा देना है और देश में राजनीतिक अस्थिरता पैदा कर देनी है। वर्ष 1977 में मोरारजी भाई देसाई की सरकार बनने के बाद यह मामला उठा लिया गया था।

जॉर्ज को बहादुर, ईमानदार और कट्टर राष्ट्रवादी नेता बताते हुए उन्होंने कहा कि वे खुद का काम खुद से करने पर विश्वास रखते थे। उन्होंने कहा कि वे भले ही केंद्रीय मंत्री बन गए, लेकिन उनका सदाचार आचरण कभी उनसे अलग नहीं हुआ।

समता पार्टी के संस्थापक और देश के पूर्व रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडिस का मंगलवार सुबह देश की राजधानी दिल्ली में निधन हो गया। वे 88 वर्ष के थे। 3 जून 1930 को कर्नाटक में जन्मे जॉर्ज का बिहार से गहरा नाता रहा है। लोकसभा में उन्होंने बिहार के मुजफ्फरपुर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। आपातकाल के दौर में उन्होंने बिहार में संघर्ष किया। राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य रह चुके जॉर्ज केंद्रीय मंत्रिमंडल में रक्षामंत्री, संचारमंत्री, उद्योगमंत्री, रेलमंत्री के रूप में कार्य किया था। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के जॉर्ज संयोजक भी रहे थे।

जॉर्ज को नजदीक से जानने वाले शिवानंद तिवारी कहते हैं कि जॉर्ज सादगी के प्रतीक थे। उन्होंने कहा कि वे न स्वयं अपना कपड़ा धोते थे, बल्कि कभी कपड़ों में इन्होंने तक आयरन (प्रेस) नहीं करवाई।

तिवारी कहते हैं कि वे खुद अपनी गाड़ी भी स्वयं चलाते थे। उन्होंने कहा कि जब जॉर्ज रक्षामंत्री थे, तब उन्होंने अपने आवास का मुख्यद्वार तक हटा दिया था, जिससे लोगों को उनसे मिलने में परेशानी नहीं हो।

जॉर्ज ने बहुत कम उम्र में आम आदमी, मजदूर से जोड़ लिया था। उस समय मुंबई में हड़ताल से मुंबई ठहर गई थी। तिवारी कहते हैं कि आपातकाल के पूर्व भी उनका बिहार से लगाव था। आपातकाल से पूर्व भी वे यहां आते-जाते थे।

कुल मिलकार सही अर्थो में जॉर्ज सादगी के प्रतीक थे। आज के राजनेताओं को उनसे सीख लेनी चाहिए।

This post was last modified on January 30, 2019 4:49 AM

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