धोनी के ग्लव्स और कैप पर दिखा अनोखा निशान, किसी और क्रिकेटर के पास नहीं यह पावर

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इंग्लैंड में वर्ल्ड कप 2019 की शुरुआत हो चुकी है। भारतीय टीम ने अपने वर्ल्ड कप का आगाज जीत के साथ किया। साउथेम्प्टन में हुए मैच में टीम इंडिया ने साउथ अफ्रीका को 6 विकेट से मात दी। मैच में बेशक रोहित शर्मा और युजवेंद्र चहल ने अपने बेहतरीन प्रदर्शन से सुर्खियां बटोरी हों, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चे धोनी के विकेटकीपिंग ग्लव्स के हुए।

धोनी के ग्लव्स पर एक अनोखा निशान बना हुआ था। इस निशान का उपयोग हर कोई नहीं कर सकता। बता दें कि धोनी के ग्लव्स पर जो निशान था वह ‘बलिदान बैज’ है। इस बैज का उपयोग पैरा-कमांडो करते हैं। तो धोनी कैसे इस निशान का उपयोग कर पा रहे हैं?

दरअसल, पैराशूट रेजिमेंट के स्पेशल फोर्सेज के पास उनके अलग बैज होते हैं, जिन्हें ‘बलिदान’ कहा जाता है। इसमें देवनागरी लिपि में ‘बलिदान’ शब्द लिखा होता है। चांदी की धातु से बने इस बैज पर ऊपर की तरफ लाल प्लास्टिक का आयत होता है। इस बैज को सिर्फ पैरा-कमांडो पहनते हैं।

पैरा-कमांडो का यह बैज धोनी के ग्लव्स पर कैसे?

टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और दुनिया के बेस्ट फिनिशर धोनी को उनकी उपलब्धियों के लिए वर्ष 2011 में प्रादेशिक सेना में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल की रैंक दी गई थी। क्रिकेटर्स में यह सम्मान सिर्फ कपिल देव और महेंद्र सिंह धोनी को मिला है। धोनी एक यूथ आइकॉन हैं और युवाओं को सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। इसलिए उन्हें मानद कमीशन दिया गया।

धोनी एक प्रशिक्षित पैराट्रूपर हैं और पैराट्रूपर विंग्स पहनते हैं। उन्होंने प्रादेशिक सेना (TA) की 106 पैराशूट रेजिमेंट में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में अपनी रैंक को साबित कर दिखाया है। वह वर्ष 2015 के अगस्त महीने में प्रशिक्षित पैराट्रूपर बन गए थे। उन्होंने आगरा के पैराट्रूपर्स ट्रेनिंग स्कूल (पीटीएस) में भारतीय वायु सेना के एएन-32 विमान से पांचवीं छलांग पूरी की। उस समय धोनी ने 1,250 फीट की ऊंचाई से कूदे और 1 मिनट से भी कम समय में मालपुरा ड्रॉपिंग जोन के पास सफलतापूर्वक उतर गए थे।

इस के बाद वह प्रतिष्ठित पैरा विंग्स प्रतीक चिह्न (Para Wings insignia) लगाने के योग्य बन गए थे और ‘बलिदान बैज’ लगाने के लिए भी योग्य हो गए थे।

धोनी के ग्लव्स के साथ उनकी कैप पर भी यह बलिदान बैज दिखा।

बता दें कि वर्ष 2011 में धोनी को प्रादेशिक सेना (TA) में लेफ्टिनेंट कर्नल के मानद रैंक से सम्मानित किया गया था। इस दौरान उन्होंने बताया भी था कि वह सेना में ऑफिसर बनना चाहते थे।

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