नई दिल्ली, 30 जनवरी (आईएएनएस)| झारखंड के चाईबासा के बुरुगुलीकेरा में सात आदिवासियों की 19 जनवरी को हुई हत्या से जुड़ी जानकारियां जुटाने के लिए गठित भाजपा की टीम ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को रिपोर्ट सौंप दी। इस घटना की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी से जांच कराने की मांग की है। भाजपा की फैक्ट फाइंडिंग टीम का गठन पार्टी के राष्ट्रीट अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने किया था, जिसमें छह नेताओं को शामिल किया गया था। टीम ने मौके पर जाकर हत्याकांड की जांच की है।
केंद्रीय गृहमंत्री सौंपी गई रिपोर्ट में जांच टीम ने झारखंड सरकार की मंशा पर सवालिया निशान खड़ा किया है और आरोप लगाया है कि हेमंत सोरेन सरकार पूरे मामले की लीपापोती करने में लगी हुई है। पार्टी की टीम ने गृहमंत्री से मांग की है कि पूरे मामले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी से जांच कराई जाए।
फैक्ट फाइंडिंग टीम के सदस्य राज्यसभा सांसद समीर उरांव ने दिल्ली में प्रेसवार्ता कर रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए कहा कि घटना के लिए हेमंत सोरेन सरकार जिम्मेवार है।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हेमंत सोरेन सरकार के पत्थलगढ़ी हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ मुकदमा वापस लेने के ऐलान की वजह से पत्थलगढ़ी समर्थकों का मनोबल बढ़ गया है और इसी का अंजाम पश्चिमी सिंहभूमि का नरसंहार है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 19 जनवरी को सामूहिक हत्या को अंजाम दिया गया, लेकिन प्रशासन और मीडिया को घटना की सूचना दो दिन बाद मिली। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मौके पर जांच के लिए गई पुलिस टीम को पत्थलगढ़ी समर्थकों ने रोका था। पुलिस टीम द्वारा समझाने के बाद ही पत्थलगढ़ी समर्थकों ने शव की बरामदगी होने दी।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि झारखंड सरकार ने इस मामले की जांच एसआईटी से कराने की घोषणा की है, लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बयान से साफ जाहिर होता है इस मसले पर लीपापोती की जा रही है। अभी तक दोषियों के खिलाफ न तो मुकदमा दर्ज किया गया है और न ही पीड़ितों को किसी प्रकार की आर्थिक सहायता पहुंचाई गई है।
टीम ने झारखंड सरकार के पत्थलगढ़ी हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ मुकदमा वापस लेने के निर्णय की समीक्षा की भी मांग की है और रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि 24 जनवरी को हत्याकांड की जांच के लिए गई सांसदों की टीम को चाईबासा जाने से रोका गया और धारा 144 लगाकर बंधक बनाने का प्रयास किया गया। लेकिन कांग्रेस नेताओं की टीम को आराम से जाने दिया गया।
टीम ने अपनी जांच में पाया कि पहले ग्रामसभा की बैठक कर पीड़ितों को बुरी तरह पीटा गया और फिर जंगल मे ले जाकर नृशंस हत्या कर दी गई। टीम में शामिल राज्यसभा सांसद शमीर उरांव ने कहा कि पत्थलगढ़ी समर्थक भारतीय व्यवस्था को नहीं मानते और सरकारी सेवा का लाभ उठा रहे लोगों को लाभ लेने से मना करते हैं। जो लोग इसका विरोध करते हैं, उनकी हत्या कर दी जाती है।
भाजपा सांसद समीर उरांव ने कहा कि हत्याकांड राज्य सरकार की लापरवाही के कारण हुई है। राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति चरमरा गई है। कांग्रेस और अन्य दल इसे लेकर चुप्पी साधे हुए हैं।
गौरतलब है कि चाईबासा नरसंहार की जांच के लिए भजपा की बनी टीम में जसवंत सिंह भाभोर, समीर उरांव, भारती पवार, गोमती साय, जोन बार्ला और विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा को शामिल किया गया था।
बुरुगुलीकेरा में पूर्व मुखिया के पति के गुट ने 19 जनवरी को उपमुखिया समेत सात लोगों की हत्या की थी। सातों के सिर कटे शव पुलिस ने 22 जनवरी को गुदड़ी प्रखंड के बुरुगुलीकेरा गांव के पास एक खाई से बरामद किए गए थे।
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