नई दिल्ली, 14 जुलाई (आईएएनएस)| भारत में छात्र-शिक्षक का उच्च शिक्षा अनुपात ब्राजील और चीन सहित कई देशों के मुकाबले कम है।
एक सरकारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में अनुपात 24 : 1 है, जबकि ब्राजील और चीन में 19 :1 है।
तुलना किए गए आठ देशों में से स्वीडन में 12 : 1, ब्रिटेन में 16 : 1, रूस में 10 : 1 और कनाडा में 9 : 1 के मुकाबले भारत का छात्र-अनुपात सबसे कम निकला है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की रिपोर्ट कहती है कि इससे न केवल शिक्षकों के एक छोटे समूह पर दबाव हावी हो रहा है, बल्कि उनके द्वारा उठाए गए शैक्षणिक अनुसंधान की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
रिपोर्ट में कहा गया, “एक कम छात्र-शिक्षक अनुपात कई विद्यार्थियों को पढ़ाने के बाबत एक शिक्षक पर बोझ के साथ-साथ प्रत्येक छात्र को मिलने वाले समय की कमी को भी दर्शता है।”
इसमें कहा गया है, “इस सरलीकृत प्रभाव के अलावा, उच्च शिक्षा के एक संस्थान में बहुत अधिक संख्या में ऐसे शिक्षक हैं जो काम के ज्यादा बोझ से दबे हुए हैं और वे किसी शोध को आगे बढ़ाने या अपने छात्रों को ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करने में असमर्थ हैं।”
शिक्षा गुणवत्ता उन्नयन और समावेश कार्यक्रम (ईक्यूयूआईपी) की रिपोर्ट में कहा गया है, “नतीजतन, अधिकांश संस्थानों में उच्च शिक्षा के एक हिस्से के रूप में पूछताछ और तर्क की संस्कृति को विकसित नहीं किया जा सकता।”
उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्रों की कम नामांकन दर और कम फैकल्टी भर्ती के कारण समय के साथ संकाय की कमी हुई है।
उच्च शिक्षा के आंकड़ों पर मंत्रालय के अखिल भारतीय सर्वेक्षण के अनुसार, उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्र नामांकन 2013-14 में 3 करोड़ 23 लाख से बढ़कर 2017-18 में 3 करोड़ 66 लोख हो गया है, जबकि शिक्षकों की कुल संख्या 13,67,535 से घटकर 12, 84,755 हो गई है।
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