पटना। बिहार के उत्तरी हिस्सों के करीब सभी जिलों में शहर से गांव तक बाढ़ का पानी कहर ढा रहा है। लोग अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर शरण लिए हुए हैं। इस बीच नदियों के जलस्तर में वृद्धि के बाद नए क्षेत्रों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर रहा है। बिहार के जिन इलाकों में बाढ़ का सबसे ज्यादा असर है, उनमें अररिया, किशनगंज, सुपौल, दरभंगा, शिवहर, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, मुजफ्फरपुर जिला शामिल हैं। अधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के 55 प्रखंड के 352 पंचायत के 18 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं।
इस बीच, नेपाल से आने वाली नदियों के जलस्तर में वृद्धि देखी जा रही है। बिहार जल संसाधन विभाग के प्रवक्ता अरविंद कुमार सिंह ने सोमवार को बताया कि बागमती जहां ढेंग, सोनाखान, डूबाधार, कनसार, बेनीबाद में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, वहीं कमला बलान नदी जयनगर, झंझारपुर में तथा महानंदा ढेंगराघाट व झावा में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।
इधर, कोसी के जलस्तर में सोमवार को वृद्धि देखी जा रही है। कोसी का जलस्तर वीरपुर बैराज के पास सोमवार को सुबह छह बजे 1.94 लाख क्यूसेक था जो आठ बजे 2.01 लाख क्यूसेक हो गया।
गंडक नदी का जलस्तर बाल्मीकिनगर बराज के पास सुबह छह बजे 75.5 हजार क्यूसेक था जो आठ 79.7 हजार क्यूसेक हो गया।
इस बीच आपदा प्रबंधन विभाग का दावा है कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत एवं बचाव कार्य जारी है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की 19 टीमें लगाई गई हैं। आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में 152 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जिसमें 45 हजार से ज्यादा लोग रह रहे हैं।
इस बीच, मुजफ्फरपुर जिले में बागमती के उफान से कटरा व औराई में बाढ़ की स्थिति नाजुक बनी है। दो हजार से अधिक घरों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। पूर्वी चंपारण के नए इलाकों में पानी तेजी से प्रवेश कर रहा है। सुपौल में भी नए क्षेत्रों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है।
सीतामढ़ी के गांवों की स्थिति और बदतर है। सीतामढ़ी के कई गांवों के बाढ़ पीड़ितों का आरोप है कि अभी तक राहत और बचाव कार्य प्रारंभ नहीं किए गए हैं। शिवहर में भी बाढ़ से हालात खराब हो रहे हैं और कई शहरी इलाकों में भी पानी घुस चुका है। अररिया और किशनगंज में भी बाढ़ का पानी नए क्षेत्रों में फैल रहा है।
बाढ़ के चलते मुसीबतों का सामना कर रहे लोगों में जनप्रतिनिधि के प्रति घोर नाराजगी भी देखी गयी। झंझारपुर सांसद रामप्रीत मंडल को नरुआर गांव में विरोध का सामना करना पड़ा। दरअसल, सांसद कमला बलान नदी के बांध टूटने की सूचना पर लोगों का हाल जानने पहुंचे थे। वह हाल-चाल जानने के बाद वापस आने लगे थे। उन्होंने लोगों को बचाने के लिए किसी तरह की कोई राहत और बचाव कार्यों को लेकर कोई आश्वासन नहीं दिया। इस पर उन्हें आक्रोशित ग्रामीणों के जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा। मीडिया खबरों के मुताबिक, गुस्साए लोगों ने सांसद की पिटाई भी कर दी। जैसे-तैसे सांसद को बचाया गया और उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला गया।
वहीं, अररिया जिले के फारबिसगंज प्रखंड मुख्यालय पर लाठी-डंडे से लैस बाढ़ पीड़ितों ने रविवार शाम स्थानीय सांसद को घेर लिया। लोगों ने बाढ़ राहत सामग्री पीड़ितों तक नहीं पहुंचने का आरोप लगाया और सांसद को जमकर खरी खोटी सुनाई। गुस्साए पीड़ितों ने कहा क्या हम इसलिए वोट देते हैं क्या? हमारे साथ चलकर देखिए कि बाढ़ के कारण हमारा कितना बुरा हाल है। इसके बाद सांसद ने पीड़ितों के दबाव में प्रभावित गांवों का दौरा किया। उन्होंने सरकारी स्तर पर जल्द से जल्द हर संभव मदद का भरोसा दिया।
उल्लेखनीय है कि रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण कर अधिकारियों को राहत अैर बचाव कार्य तेज करने का निर्देश दिया था। सीएम ने शिवहर, सीतामढ़ी, मोतिहारी, मधुबनी, दरभंगा और मुजफ्फरपुर जिलों का हवाई सर्वेक्षण किया। इस दौरान सीएम के साथ जल संसाधन मंत्री भी मौजूद थे। बिहार में बाढ़ पीड़ितों को बचाने के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम भी जुटी है।
(इनपुट: आईएएनएस)
This post was last modified on July 15, 2019 5:17 PM
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