देश और दुनिया में कोरोना वायरस के कहर के बीच पटना में बर्ड फ्लू और स्वाइन फ्लू अपना पांव पसार रहा है। इन बीमारियों की दस्तक से लोगों के बीच दहशत का माहौल है। फरवरी महीने में राजधानी पटना के कई इलाकों में बड़ी संख्या में अचानक कौए मरे हुए मिले थे। बर्ड फ्लू की आशंका के चलते प्रशासन ने सभी कौओं के सैम्पल को जांच के लिए भेजा था। जांच में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। इसके अलावा पिछले दस दिनों में पटना जिले में स्वाइन फ्लू के भी कुछ मामले सामने आ चुके हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में स्वाइन फ्लू से होने वाली बीमारी और मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। अब तक 6 मरीजों में स्वाइन फ्लू पाया गया है। आरएमआरआई की जांच रिपोर्ट में इन मरीजों में स्वाइन फ्लू होने की बात सामने आई है।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक पिछले दो माह में पटना समेत राज्य के कुछ हिस्सों में कौओं और सूअरों की अचानक मौत के बाद उनके सैम्पल जांच के लिए कोलकाता भेजे गए थे। कोलकाता के लैब में इन सैंपलों की दो बार जांच हुई और दोनों ही बार उनमें बर्ड फ्लू से मौत की पुष्टि हुई है। हालांकि, पशुपालन विभाग अभी स्वाइन फ्लू से सूअरों की मौत की बात से तो इंकार कर रहा है। एनिमल हेल्थ एंड प्रोडक्शन इंस्टीट्यूट के अनुसार सूअरों की मौत का कारण स्वाइन फीवर हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार स्वाइन फीवर भी काफी नुकसान दायक है। राज्य में बर्ड फ्लू और स्वाइन फीवर से हुई कौओं और सूअरों की मौत के बाद सतर्कता बढ़ा दी गई है।
राजधानी के लोहियानगर इलाके में गत 15 फरवरी को कौए की मौत की जांच रिपोर्ट में बर्ड फ्लू बीमारी की पुष्टि हुई है। इसी प्रकार पटना सिटी और भागलपुर के कुछ क्षेत्रों में सुअरों की मौत के पीछे स्वाइन फीवर बीमारी की बात कही जा रही है। संस्थान के वेटनरी डॉक्टरों के मुताबिक स्वाइन फीवर भी स्वाइन फ्लू की तरह ही खतरनाक होता है। डॉक्टर का कहना है कि कोरोना के शोर में स्वाइन फ्लू के खतरे पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसको लेकर भी लोगो को जागरूक करने की जरूरत है।
गौरतलब है कि कोरोना वायरस को लेकर जारी अलर्ट के बाद बिहार में अब तक 57 संदिग्धों की वायरोलॉजी जांच करायी गयी, जिनमें एक भी पॉजिटिव केस नहीं मिला है। स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक 25 जनवरी से लेकर अब तक कोरोना से पीड़ित देशों से लौटे कुल 274 यात्रियों को सर्विलांस पर रखा गया है। हालांकि, इनमें से 86 यात्रियों को 14 दिन तक निगरानी में रखने के बाद उनके टेस्ट निगेटिव आने पर उनको जांच के दायरे से बाहर कर दिया गया है।
This post was last modified on March 18, 2020 12:30 PM
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