बिहार की सत्ता में साझेदार जदयू और भाजपा के बीच इन दिनों सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। अक्सर ऐसी घटनाएं या बयान सामने आते हैं जिनसे इन दोनों दलों के बीच के मतभेद खुलकर सामने आ जाते हैं। ताजा मामला जदयू राज्यसभा के पूर्व सदस्य और पार्टी महासचिव पवनवर्मा के उस बयान का है जिसमें उन्होंने भाजपा को 2020 का विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने की चुनौती दे डाली है।
राज्यसभा के पूर्व सदस्य और जदयू के राष्ट्रीय महासचिव पवन वर्मा ने भाजपा नेतृत्व से कहा है कि वह बिहार में गठबंधन के खिलाफ बयानबाजी करने वाले अपने सांसद, केंद्रीय मंत्री, विधायक, विधान परिषद सदस्य और पार्टी नेताओं पर लगाम लगाए। इस प्रकरण पर भाजपा नेतृत्व स्पष्ट करे कि ऐसे बयान इन नेताओं के निजी हैं या पार्टी के नेतृत्व की सहमति से यह सब हो रहा है।
पवन वर्मा ने कहा कि भाजपा के कुछ नेताओं का गठबंधन विरोधी बयान बर्दाश्त करने की सीमा को पार कर रहा है। उनके बयान में सत्ता का मद और अहंकार साफ झलक जाता है। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा नेतृत्व को लग रहा है कि वह अकेले विधानसभा चुनाव लड़कर कामयाब हो जाएगी तो वह स्पष्ट निर्णय ले। यह भाजपा का फैसला होगा।
जहां तक जदयू का सवाल है, पार्टी हरेक चुनौती के मुकाबले के लिए तैयार है। जदयू के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि जदयू को अपनी मर्यादा का ज्ञान है। उसे यह भी पता है कि मर्यादा के पालन के लिए क्या करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में जदयू-भाजपा गठबंधन को राज्य में शानदार उपलब्धि हासिल हुई। इसके बाद भाजपा के नेता जिस तरह का बयान दे रहे हैं, वह कहीं से उचित नहीं है।
बिहार में जद-यू, भाजपा का रिश्ता क्या कहलाता है!
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