जन्मदिन विशेष: धर्म को जनता की अफीम मानते थे कार्ल मार्क्स, जानें उनके विचारों के बारे में

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कार्ल मार्क्स जर्मनी के एक महान दार्शनिक और अर्थशास्त्री थे। उन्होंने ही वैज्ञानिक समाजवाद को पहचान दिलाई थी। कार्ल मार्क्स के सिद्धांतों को दुनिया भर में काफी माना जाता है। वह सत्ता में महिलाओं और सर्वहारा वर्ग की हिस्सेदारी का समर्थन करते थे। आज उनकी 202वीं जयंती है।

कार्ल मार्क्स का जन्म 5 मई 1818 में को त्रेवेस (प्रशा) के एक यहूदी परिवार में हुआ। वह 17 वर्ष की आयु में कानून की पढ़ाई के लिए बॉन विश्वविद्यालय में गए। इसके बाद बर्लिन और जेना विश्वविद्यालयों में साहित्य, इतिहास और दर्शन का अध्ययन किया। उन्हें 1839-41 में दिमॉक्रितस और एपीक्यूरस के प्राकृतिक दर्शन पर शोध-प्रबंध को लिखने के बाद डॉक्टरेट की उपाधि मिली। कार्ल मार्क्स ने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण काम किए।

कार्ल मार्क्स के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें

1. मार्क्स ने जीवन भर कामकाजी तबके की आवाज बुलंद की हालांकि खुद कभी कोई श्रम आधारित नौकरी नहीं की।

2. उनके क्रांतिकारी और कट्टर लेखों के चलते उन्हें जर्मनी, फ्रांस और बेल्जियम से भगा दिया था।

3.  मार्क्स ने फ्रेडरिक एंजेल्स के साथ मिलकर ‘द कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो’ लिखी थी।

4. कार्ल मार्क्स की थ्योरी के अनुसार ‘कामकाजी तबके की जीत निश्चित है और मानव समाज वर्ग संघर्ष के रास्ते ही प्रगति करता है।’

कार्ल मार्क्स के विचार सभी को प्रभावित करते हैं जानें उनके विचारों के बारें में

1. सामाजिक प्रगति समाज में महिलाओं को मिले स्थान से मापी जा सकती है।

2. इतिहास खुद को दोहराता है, पहली बार एक त्रासदी की तरह और दूसरी बार एक मज़ाक की तरह।

3. लोकतंत्र समाजवाद का रास्ता है।

4. पूंजी मृत श्रम है , जो पिशाच की तरह केवल जीवित श्रमिकों का खून चूस कर जिंदा रहता है, और जितना अधिक ये जिंदा रहता है उतना ही अधिक श्रमिकों को चूसता है।

5. धर्म लोगों का अफीम है।

6. नौकरशाह के लिए दुनिया महज एक हेर-फेर करने की वस्तु है।

7. अमीर गरीब के लिए कुछ भी कर सकते हैं लेकिन उनके ऊपर से हट नहीं सकते।

8. कोई भी जो इतिहास की कुछ जानकारी रखता है वो ये जानता है कि महान सामाजिक बदलाव बिना महिलाओं के उत्थान के असंभव हैं। सामाजिक प्रगति महिलाओं की सामाजिक स्थिति, जिसमें बुरी दिखने वाली महिलाएं भी शामिल हैं; को देखकर मापी जा सकती है।

9. दुनिया के मजदूरों एकजुट हो जाओ, तुम्हारे पास खोने को कुछ भी नहीं है, सिवाय अपनी जंजीरों के।

10. अगर कोई चीज निश्चित है तो ये कि मैं खुद एक मार्क्सवादी नहीं हूं।

अपने विचारों से दुनिया भर को प्रभावित करने वाले कार्ल मार्क्स ने 14 मार्च 1883 को दुनिया को अलविदा कह दिया।

This post was last modified on May 5, 2020 2:52 PM

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