बॉलीवुड के स्टाइलिश अदाकार फिरोज खान (Feroz Khan) अपनी बेहतरीन एक्टिंग के साथ- साथ रुपहले पर्दे पर पौरुष, आकर्षण, संरक्षण और सौम्यता का एक नया दौर शुरू करने वाले कलाकार के तौर पर जाने जाते हैं। आज ही के दिन पैदा होने वाले फिरोज खान बॉलीवुड के महान एक्टर, डायरेक्टर, प्रॉड्यूसर, फैशन आइकन में से एक थे।
शाही अंदाज़ और स्टाइल के बादशाह फिरोज अपनी प्रोफेशनल लाइफ के साथ- साथ अपनी पर्सनल लाइफ के लिए भी सुर्ख़ियों में रहते थे।
25 सितंबर 1939 को बेंगलुरु में जन्मे फिरोज खान (Feroz Khan) ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1960 में फिल्म ‘दीदी’ से सेकंड लीड के तौर पर की। इसके बाद उन्होंने टारजन गोज टु इंडिया, ऊंचे लोग, आदमी और इंसान, उपासना, मेला, नागिन, अंजाम, लहु पुकारेगा, अपराध जैसी कई फिल्मों में काम किया।
अदाकारी के बाद उन्होंने प्रोडक्शन में अपना हाथ आज़माया और 1971 में उन्होंने पहली फिल्म ‘अपराध’ प्रोड्यूस की। 1975 में आयी फिल्म ‘धर्मात्मा’ से फिरोज खान ने डायरेक्शन भी शुरू किया। फ़िल्म के एक्टर, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर तीनो फिरोज ही थे। कई हिट फिल्मों से अपनी पहचान बनाने वाले फिरोज खान की आखिरी फिल्म 2007 में आई ‘वेलकम’ थी, जो कि सुपरहिट साबित हुई। इस फिल्म उनका डायलॉग ‘अभी हम ज़िंदा हैं’ भी काफी फेमस हुआ।
फिल्मों में अपने काम के लिए चर्चाओं में रहने वाले फिरोज खान की निजी ज़िन्दगी भी काफी चर्चित थी। कई लोगों के साथ उनके अफेयर की खबरें आयी, जिसमें एयर होस्टेस ज्योतिका धनराजगिर के साथ उनका अफेयर सबसे ज़्यादा चर्चा में रहा। शादीशुदा फिरोज ने ज्योतिका के लिए अपनी पत्नी को छोड़ दिया था और ज्योतिका के साथ लिव-इन में रहने लगे थे। लेकिन बाद में फिरोज के ज्योतिका से शादी न करने के कारण दोनों के रिश्ते खराब हो गए।
फिरोज खान (Feroz Khan) अपने बेबाक बयानों और कड़क मिजाज के लिए भी मशहूर थे। पाकिस्तान को लेकर दिए उनके बयान ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था। विवाद के कारण उस वक्त के राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने उनके पाकिस्तान आने पर रोक लगा दी गई थी। अपने भाई की फिल्म ‘ताजमहल’ के पाकिस्तान में प्रमोशन के दौरान उन्होंने बयान था दिया कि “भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है हमारे यहां मुसलमान आगे बढ़ रहे हैं, तरक्की कर रहे हैं। हमारे राष्ट्रपति मुस्लिम हैं, प्रधानमंत्री सिख हैं। पाकिस्तान इस्लाम के नाम पर बना था, लेकिन आज हालात देखिए लोग एक दूसरे को मार रहे हैं।’
फिरोज खान और विनोद खन्ना की दोस्ती काफी गहरी थी। दोनों की मृत्यु भी एक ही तारिख को हुई फिरोज जहाँ 2009 में 27 अप्रैल को दुनिया छोड़ कर गए, वहीं विनोद खन्ना इसी तारीख को 2014 में दुनिया से रुखसत हुए।
फिरोज कैंसर से पीड़ित थे। लंबे वक्त तक मुंबई में इलाज चलने के बाद वह अपने फॉर्म हाउस लौट गए। वहीं 69 वर्ष की उम्र में 27 अप्रैल, 2009 को उनका निधन हो गया।
फिरोज खान (Feroz Khan) को 1971 में फ़िल्म्फेयर फॉर बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर, 2004 में IIFA फॉर बेस्ट परफॉरमेंस इन नेगेटिव रोल, 2008 में ज़ी सिने अवार्ड फॉर लाइफटाइम अचीवमेंट, 2007 में फ़िल्म्फेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड और 2009 में स्टारडस्ट अवार्ड फॉर प्राइड ऑफ़ फिल्म इंडस्ट्री से सम्मानित किया गया।
This post was last modified on September 25, 2019 9:52 AM
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