भोपाल, 1 अप्रैल (आईएएनएस)| कोरोनावायरस महामारी को फैलने से रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन होने के कारण महानगरों, शहरों में काम बंद है। काम की तलाश में बुंदेलखंड क्षेत्र से बाहर गए हजारों लोग अब अपने गांव लौट रहे हैं, मगर इन लोगों का इस बार नया बसेरा है। ये नए बसेरे हैं स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र और अन्य इमारतें, जहां उनके रहने-खाने के पूरे इंतजाम शासन-प्रशासन ने किए हैं। इस इलाके में अब तक एक लाख से ज्यादा मजदूर अपने-अपने गांव लौट चुके हैं।
बुंदेलखंड वह इलाका है, जहां से हर साल लाखों लोग रोजी-रोटी की तलाश में दिल्ली से लेकर नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, गुजरात सहित कई दूसरे स्थानों में जाते हैं। यह उनके और परिवार के उदर पोषण का जरिया है। एक तो इस इलाके में रोजगार का कोई साधन नहीं है और तमाम खामियों के चलते खेती भी बेहतर नहीं हो पाती है।
कोराना वायरस के चलते कामकाज पूरी तरह बंद होने पर पलायन कर बाहर गए परिवारों की वापसी का दौर जारी है। मगर इस समय वे अपने घर तो नहीं पहुंच रहे हैं, बल्कि उन्हें स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र सहित अन्य सरकारी इमारतों में ठहराया गया है। प्रशासन ने उनके रहने-खाने रहने का इंतजाम तो किया है, मगर इस शर्त पर कि वे सोशल डिस्टेंस का पालन करें और एक-दूसरे को छूएं नहीं।
सागर संभाग के आयुक्त अजय सिंह गंगवार बताते हैं, “बुंदेलखंड में मजदूरों की वापसी हो रही है, उन्हें प्रारंभिक चिकित्सकीय परीक्षण करने के बाद गांव भेजा जा रहा है। गांव में पहुंचने के बाद उन्हें आइसोलेट करने के पूरे इंतजाम किए गए हैं। अभी तक एक भी कोरोना पॉजिटिव मामला सामने नहीं आया है।”
छतरपुर के कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने आईएएनएस को बताया, “जिले में अब तक लगभग 15 हजार मजदूरों की वापसी हो चुकी है। उनका चिकित्सीय परीक्षण करने के बाद गांव भेजा गया है। गांव में इन लोगों को आइसोलेट रखा जा रहा है। बाहर से लौटे लोगों को स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र और अन्य इमारतों में ठहराया गया है। प्रशासन की ओर से इनके खाने और रहने का इंतजाम किया गया है। साथ ही इनके स्वास्थ्य पर भी नजर रखी जा रही है।”
टीकमगढ़ जिले के जसवंतनगर ग्राम पंचायत में 107 लोग बाहर से लौटे हैं। इन लोगों का चिकित्सकीय परीक्षण कर आईसोलेट किया गया है। बाहर से लौटे राम मिलन अहिरवार का कहना है कि वह पूरी तरह ठीक हैं, उसका स्वास्थ्य परीक्षण हो चुका है और वह प्रशासन के निर्देशों का पालन करते हुए आइसोलेट हैं।
बताया गया है कि जो भी मजदूर बाहर से लौट रहे हैं, उन्हें गांव के बाहरी हिस्से में बने भवनों में ठहराया जा रहा है। घरों की तरफ जाने से रोका गया है। यही कारण है कि इन लोगों का अपने गांव के लोगों से मुलाकात नहीं हो पा रही है।
बुंदेलखंड की स्थिति पर गौर करें तो यह उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच फैला हुआ है। इस क्षेत्र में 14 जिले आते हैं, जिनमें सात सात मध्य प्रदेश और सात उत्तर प्रदेश के हैं। एक अनुमान के मुताबिक, यहां से हर साल लगभग 20 फीसदी आबादी पलायन करती है। इस बार होली में लौटकर आए ज्यादातर लोग कटाई का मौसम होने के कारण शहर जाने के बजाय गांव में ही मौजूद रहे। इसलिए गनीमत है कि बाहर से लौटने वालों की संख्या कम है।
इस क्षेत्र में सामाजिक कार्य करने वालों का मानना है, वापस आने वाले अधिकतम मजदूर 10 लाख हो सकते हैं और अब तक लगभग डेढ़ से एक लाख मजदूर अपने- अपने गांव पहुंच चुके हैं और उनके आने का सिलसिला भी जारी है। प्रशासनिक स्तर पर व्यवस्थाएं बेहतर रहीं तो मजदूरों को अपने गांव तक पहुंचने में परेशानी नहीं होगी और यह वर्ग प्रशासन की हिदायतों का भी पालन करने को कटिबद्ध नजर आ रहा है।
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