Devuthani ekadashi 2019: इसलिए सोये थे भगवान श्रीहरि विष्णु, जानें देवउठनी एकादशी की कथा

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Devuthani ekadashi 2019: दीपावली के बाद आने वाली इस एकादशी को देवउठनी या देव प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। चार माह पूर्व आषाढ़ शुक्ल देवशयनी एकादशी के दिन शयनस्थ हुये देवी-देवताओं में मुख्यत: भगवान श्री विष्णु का इस एकादशी को जाग्रत होना माना जाता है। विष्णु के शयनकाल के इन चार मासों में विवाह आदि मांगलिक शुभ कार्यों का आयोजन निषेध माना जाता है। हरि के जागने के बाद ही इस एकादशी से सभी शुभ एवं मांगलिक कार्य शुरू किये जाते हैं।

इसलिए सोये थे भगवान श्रीहरि विष्णु

मान्यता है कि शंखासुर नामक एक बलशाली असुर ने तीनों लोकों में बहुत उत्पात मचाया। देवताओं की प्रार्थना पर भगवान विष्णु शंखासुर से युद्ध करने गए। कई वर्षों तक शंखासुर से भगवान विष्णु का युद्ध किया। युद्ध में शंखासुर मारा गया। युद्ध करते हुए भगवान विष्णु काफी थक गए और क्षीर सागर में अनंत शयन करने लगे। चार माह सोने के बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन भगवान की निद्रा टूटी।

देवउठनी एकादशी की कथा

पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार एक बार भगवान श्री हरि विष्‍णु से लक्ष्मी जी ने पूछा- “हे नाथ! आप दिन रात जागा करते हैं और सोते हैं तो लाखों-करोड़ों वर्ष तक सो जाते हैं तथा इस समय में समस्त चराचर का नाश कर डालते हैं। इसलिए आप नियम से प्रतिवर्ष निद्रा लिया करें। इससे मुझे भी कुछ समय विश्राम करने का समय मिल जाएगा।”

लक्ष्मी जी की बात सुनकर नारायण मुस्कुराए और बोले- “देवी! तुमने ठीक कहा है। मेरे जागने से सब देवों और खासकर तुमको कष्ट होता है। तुम्हें मेरी वजह से जरा भी अवकाश नहीं मिलता। अतः तुम्हारे कथनानुसार आज से मैं प्रतिवर्ष चार मास वर्षा ऋतु में शयन किया करूंगा। उस समय तुमको और देवगणों को अवकाश होगा। मेरी यह निद्रा अल्पनिद्रा और प्रलय कालीन महानिद्रा कहलाएगी। मेरी यह अल्पनिद्रा मेरे भक्तों के लिए परम मंगलकारी होगी। इस काल में मेरे जो भी भक्त मेरे शयन की भावना कर मेरी सेवा करेंगे और शयन व उत्थान के उत्सव को आनंदपूर्वक आयोजित करेंगे उनके घर में, मैं तुम्हारे साथ निवास करूंगा।”


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