#DholeraSmartCity ट्विटर पर क्यों हुआ ट्रेंड, लोगों ने क्यों कर दी मोदी सरकार की खिंचाई?

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नरेंद्र मोदी पहली बार साल 2014 में देश के प्रधानमंत्री बने। प्रधानमंत्री बनने से पहले लोकसभा चुनाव में उन्होंने कई आसमानी वादे किए। जाहिर है कि उनमें से कुछ अहम वादे अब तक पूरे नहीं हुए। ऐसा ही उनका एक वादा देशभर में 100 स्मार्ट सिटी बनाने का था। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी द्वारा जारी 52 पेजों के घोषणापत्र में भी इसका वादा किया गया था। इन्हीं वादों के बूते पर बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब रही। इसके बाद दोबारा भी केंद्र में सरकार बन गई। लेकिन जो नहीं बनी, वो है सौ स्मार्ट सिटी। सौ छोड़िए, पहले स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जाने वाला गुजरात का धोलेरा शहर हवाई किले में तब्दील होता जा रहा है। इसके लिए मोदी सरकार को ट्विटर पर घेरा जा रहा है। गुरुवार रात को #DholeraSmartCity ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है। लोग लतीफ़े बना रहे हैं और महत्वाकांक्षी वादा पूरा नहीं करने पर मोदी सरकार की खिंचाई हो रही है।

आपको बता दें कि अहमदाबाद से 40 किमी दूर धोलेरा स्पेशल इन्वेस्टमेंट रीजन (धोलेरा सर) को देश के पहले स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किए जाने की बात कही गई थी। इसके लिए केंद्र सरकार ने साल 2015 में ही 2,486 करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे। लेकिन 5 साल बीत जाने के बाद भी दिखाने लायक काम नहीं हुआ है। लोग गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी के भाषण का पुराना वीडियो खोद लाए हैं, जिसमें वह अपने सपनों के शहर धोलेरा का बखान कर रहे हैं। मोदी जी कह रहे हैं कि धोलेरा शहर दिल्ली से दोगुना और शंघाई से 6 गुना बड़ा होगा।

धोलेरा स्मार्ट सिटी में ऐसा क्या होगा

धोलेरा के बारे में पुराने मीडिया रिपोर्ट खंगालने पर पता चलता है कि भारत की इस पहली स्मार्ट और फ्यूचरिस्टिक सिटी को अहमदाबाद के पास सिंधु घाटी सभ्यता के विकसित शहर ‘लोथल’ के पास बसाया जा रहा है। 920 वर्ग किलोमीटर में यह सिटी बसाई जाएगी। कहा जा रहा है कि यह शहर सिंगापुर से भी आकार में करीब डेढ़ गुना बड़ा होगा। इसमें केवल इलेक्ट्रिक वाहन चलेंगे। पानी की एक बूंद भी व्यर्थ नहीं जाएगी। टॉयलेट, बाथरूम व सीवरेज के पानी को दुबारा उपयोग किया जाएगा। यहां से समुद्री व आकाश के व्यापार को नए पंख लगेंगे।

पीएम मोदी के महत्वाकांक्षी शहर धोलेरा में गुजरात का सबसे बड़ा इंटरनेशनल कार्गो (मालवाहक) एयरपोर्ट का निर्माण होने जा रहा है। यह एयरपोर्ट जल्द ही देेश के शीर्ष तीन कार्गो एयरपोर्ट में शुमार होगा। यहां से पहली फ्लाइट मार्च 2023 तक उड़ने की संभावना है। 1426 हेक्टेयर में प्रस्तावित इस एयरपोर्ट के दो रनवे होंगे जो एयर बस 320 जैसे बड़े हवाई जहाजों को भी हैंडल कर सकेगा। इस सिटी के निर्माण में लागत की 51 प्रतिशत गुजरात सरकार व 49 प्रतिशत केंद्र सरकार की भागीदारी होगी।

बहरहाल, अब तक इन दावों को हकीकत के धरातल पर उतारा नहीं जा सका है तो लोग ट्विटर पर मज़े ले रहे हैं। आप भी देखिये…

“गुजरात के धोलेरा स्मार्ट सिटी का किसान फ्लाइंग कार से दिल्ली  में ताजा दूध बेचने जाता हुआ।”

फेक न्यूज़ और व्हाट्सऐप फॉरवर्ड ट्वीट करने के लिए अमिताभ बच्चन को भी लपेट लिया गया है – धोलेरा स्मार्ट सिटी के सूचना एवं प्रसारण मंत्री।

“धोलेरा स्मार्ट सिटी के दिहाड़ी मजदूर कैंटीन की लाइन में खड़े हैं।”

“दुनिया का बेस्ट ऑलराउंडर धोलेरा स्मार्ट सिटी से ही निकला है। ”

धोलेरा स्मार्ट सिटी का स्टेचू।

धोलेरा स्मार्ट सिटी की ये मनोरम तस्वीर जो वहीं के एक निवासी ने भेजी है।

धोलेरा स्मार्ट सिटी में कुछ ऐसे ली जाती है सेल्फी।

धोलेरा स्मार्ट सिटी का स्मार्ट राष्ट्रवादी।

वडनगर से एक प्रवासी मजदूर धोलेरा स्मार्ट सिटी पहुंचा, अपनी चाय की दुकान खोलने।

धोलेरा स्मार्ट सिटी से दुनियाभर में टीचर एक्सपोर्ट किए जाते हैं।

धोलेरा स्मार्ट सिटी फ़िलहाल।

खेतों में बंपर पैदावार होने पर ईश्वर को शुक्रिया अदा करता धोलेरा स्मार्ट सिटी का एक किसान परिवार

धोलेरा स्मार्ट सिटी में कारें उड़ रही हैं। नफरत करने वाले कहेंगे कि ये असली नहीं है।

धोलेरा स्मार्ट सिटी की ख़ास करेंसी।

मंगल ग्रह पर जाने को तैयार धोलेरा स्मार्ट सिटी का एक स्मार्ट अंतरिक्षविज्ञानी।

क्या है स्मार्ट सिटी की कहानी

केंद्र की गद्दी पर पहली बार बैठने के बाद मोदी सरकार ने 25 जून 2015 को दिल्ली के विज्ञान भवन में देश भर के 500 नगर निकाय यानी म्यूनिसिपल बॉडीज के मेयर, कमिश्नर को बुलाया गया। पीएम मोदी, वर्तमान उपराष्ट्रपति और उस समय शहरी विकास मंत्री रहे वेंकैया नायडू भी मौजूद रहे। इस दिन भारत सरकार ने देश में 100 स्मार्ट शहर बनाने का औपचारिक एलान किया। इसके लिए समयसीमा 5 साल रखी गई।

हालांकि इस प्रोजेक्ट की शुरुआत ही इतनी देर से हुई कि इसकी पहली डेडलाइन पीछे छूट गई और अब इसे पूरा करने का वक़्त बढ़ाकर 2023 कर दिया गया है। इतना ही नहीं, अब तक स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए आवंटित फ़ंड का एक छोटा सा हिस्सा ही इस्तेमाल हो पाया है। बता दें कि मोदी सरकार ने स्मार्ट सिटीज़ मिशन के लिए देश भर से 100 शहरों को चुना और शहरों की आख़िरी सूची 2018 में चुनी गई।

क्या है स्मार्ट सिटी की परिभाषा

भारत सरकार के अनुसार स्मार्ट सिटी की कोई तय परिभाषा नहीं है। बस इस मिशन के अंतर्गत 100 चुने गए शहरों में रहने वाले लोगों की ज़िंदगी बेहतर बनाने के लिए फ़ंड देने का वादा किया गया है। सरकार ने शहरों को स्मार्ट बनाने के लिए आधुनिक तकनीक और तौर-तरीकों के इस्तेमाल की बात कही थी।सरकार का दावा था कि इन 100 शहरों में न सिर्फ़ बिजली और ऊर्जा की कमी पूरी करने वाली इमारतें होंगी बल्कि सीवेज के पानी कूड़े और ट्रैफ़िक जैसी तमाम बुनियादी समस्याओं से निबटने के लिए नई टेक्नॉलजी का इस्तेमाल भी होगा।


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This post was last modified on May 15, 2020 12:18 PM

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