बिहार का ‘लेनिनग्राद’ और ‘मिनी मास्को’ कहा जाने वाला बेगूसराय लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र एकबार फिर से नया सांसद चुनने को तैयार है। 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार इस सीट पर कमल खिला और दिग्गज नेता भोला सिंह ने राजद के तनवीर हसन को कड़े मुकाबले में पटखनी दी थी। पिछले साल अक्टूबर महीने में सांसद भोला सिंह का निधन हो गया, जिसके बाद से यह सीट खाली है। इस बार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) ने जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। वहींं, एनडीए की तरफ से गिरिराज सिंह प्रत्याशी बनाए गए हैं। इसके अलावा गठबंधन खेमे से आरजेडी के डॉ. तनवीर हसन मैदान में हैं।
बेगूसराय लोकसभा सीट पर चौथे चरण में 29 अप्रैल को मतदान होने हैं।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्मस्थली बेगूसराय बिहार के 40 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है।इस क्षेत्र की मुख्य नदियां बूढ़ी गंडक, बलान, बैंती, बाया और चंद्रभागा हैं। एशिया की सबसे बड़ी मीठे जल की झीलों में से एक कावर झील इसी इलाके में है। इस क्षेत्र में इण्डियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड का बरौनी तेलशोधक कारखना, बरौनी थर्मल पावर स्टेशन और हिंदुस्तान फर्टिलाइजर लिमिटेड आदि कारखाने प्रमुख हैं। यहां का महाविद्यालय ललित नारायण, महंथ कॉलेज, गणेश दत्त महाविद्यालय, महिला कॉलेज प्रमुख शैक्षणिक संस्थान हैं।
बेगूसराय जिले में परिसीमन से पूर्व दो लोकसभा क्षेत्र थे। इनमें एक बेगूसराय व दूसरा बलिया था। 2009 में परिसीमन के बाद दोनों लोकसभा क्षेत्र को मिलाकर एक सिर्फ बेगूसराय बना दिया गया। परिसीमन से पहले एक दो मौके को छोड़ दें तो बेगूसराय की धरती हमेशा से वामपंथियों के लिए उर्वर रही है और वामपंथी आंदोलन के कर्ताधर्ता लोगों में भूमिहार जाति के नेता आगे रहे हैं। 1967 के आम चुनाव में सीपीआई के योगेंद्र शर्मा ने यहां से जीत दर्ज की थी। यहां की बलिया लोकसभा सीट, जो 2009 के चुनाव से पहले परिसीमन में खत्म हो गई, से 1988 और 1991 में सीपीआई के सूरज नारायण सिंह सांसद बने थे। 1996 में भी इस सीट से सीपीआई के शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने जीत दर्ज की, जबकि बेगूसराय लोकसभा सीट पर 1996 में इसी पार्टी के चुनाव चिह्न पर नामांकन दर्ज करने वाले रमेंद्र कुमार को तकनीकी कारणों से निर्दलीय चुनाव लड़ना पड़ा और वह जीते भी।
हालांकि, पिछले कुछ चुनावों में बड़ी संख्या में भूमिहारों ने बीजेपी और जेडी(यू) का समर्थन किया है। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में एनडीए की ओर से जेडी(यू) के राजीव रंजन सिंह, वर्ष 2009 में डॉक्टर मोनाजिर हसन और वर्ष 2014 में बीजेपी के भोला सिंह ने जीत दर्ज की थी। राजीव रंजन और भोला सिंह दोनों ही भूमिहार थे।
बेगूसराय संसदीय सीट में सात विधानसभा क्षेत्र आते हैं – बेगूसराय, मटिहानी, बछवाडा, तेघड़ा, चेरिया बरियारपुर, साहेबपुर कमाल और बखरी (सुरक्षित)। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू, राजद और कांग्रेस के मिलकर चुनाव लडऩे से भाजपा को मुंह की खानी पड़ी थी। राजद तीन और कांग्रेस-जदयू ने दो-दो सीटें जीतकर भाजपा का पत्ता साफ कर दिया था।
अगर मतदाताओं की बात करें तो बेगूसराय में कुल 19 लाख 53 हजार 7 मतदाता हैं। जिसमें पुरुष मतदाता 1038983 महिला मतदाता 9 लाख तेरह हजार 962 और थर्ड जेंडर के 62 मतदाता हैं। अब अगर संभावित जातिगत मतदाताओं की बात करें तो भूमिहार मतदाता की संख्या यहां 380000 तो मुसलमानों की संख्या 284000, यादव 225000, कुर्मी 140000, कुशवाहा 125000, राजपूत मतदाताओं की संख्या 75 हजार, कायस्थ 50000, ब्राह्मण 80000, पासवान मतदाताओं की संख्या 150000, निषाद 7000, मुसहर जाति से 7000 और अन्य मतदाता भी एक लाख के आसपास हैं।
2014 के चुनाव में डॉ. भोला सिंह ने आरजेडी के प्रत्याशी तनवीर हसन को हराया था। डॉ. सिंह को 4,28,227 वोट मिले जबकि हसन को 3,69,892 वोट हासिल हुए। डॉ. सिंह को 39.72 प्रतिशत और हसन को 34.31 प्रतिशत वोट मिले। इस इलाके में भाकपा की अच्छी पकड़ है। 2014 के चुनाव में भाकपा प्रत्याशी राजेंद्र प्रसाद सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे। उन्हें 1,92,639 वोट मिले थे। वोट प्रतिशत की बात करें तो भाकपा को 17.87 प्रतिशत मत हासिल हुए थे। इस चुनाव में चौथे और पांचवें स्थान पर निर्दलीय रहे। छठे स्थान पर नोटा रहा जिसके तहत 26,335 वोट पड़े। कुल वोटों का 2.47 प्रतिशत नोटा के हिस्से में आया। इस चुनाव में कुल 60.60 प्रतिशत वोटिंग हुई थी जिसमें जेडीयू के वोट बीजेपी के पाले गए थे और बीजेपी के डॉ. सिंह आसानी से जीत गए थे।
डॉ. भोला सिंह का जन्म 3 जनवरी 1939 को हुआ। बीजेपी में शामिल होने से पहले डॉ. सिंह बिहार में लगभग सभी दलों से जुड़े रहे। कम्युनिस्ट पार्टी, कांग्रेस और आरजेडी में भी उन्होंने अपनी सेवाएं दीं। सन् 2000 से 2005 तक वे बिहार विधानसभा के डिप्टी स्पीकर थे। बेगूसराय से साल 1967 में निर्दलीय टिकट पर विधायक चुने जाने से पहले वे इतिहास के प्रोफेसर थे। डॉ. सिंह ने 60 के दशक में राजनीति शुरू की और 8 बार बेगूसराय से विधायक रहे। 2009 में उन्होंने नवादा संसदीय सीट पर बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। बिहार में एनडीए सरकार के दौरान डॉ. सिंह 2008 में शहरी राज्यमंत्री बनाए गए थे। 2014 में भोला बाबू बेगूसराय से सांसद चुने गए। 19 अक्टूबर 2018 को उनका निधन हो गया।
उनके निधन से एक राजनीतिक शून्यता उत्पन्न हुई है। अब उनकी विरासत को आगे बढ़ाने का काम केंद्रीय मंत्री व वर्तमान में इस सीट से भाजपा के प्रत्याशी गिरिराज सिंह के कंधों पर होगी। लेकिन, बेगूसराय में मुकाबला दिलचस्प होता दिख रहा है। गिरिराज सिंह और कन्हैया कुमार की उम्मीदवारी के बाद भूमिहार मतदाताओं के मत में बंटवारा संभावित है। वहीं तनवीर हसन के मैदान में आ जाने के बाद मुकाबला त्रिकोणीय बनता दिख रहा है।
निवर्तमान सांसद: कोई नहीं
डा. भोला प्रसाद सिंह, भाजपा – 4,28,227
डा. तनवीर हसन, राजद – 3,69,892
राजेन्द्र प्रसाद सिंह, सीपीआई – 1,92,639
अधिसूचना जारी | 2 अप्रैल |
नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि | 9 अप्रैल |
नामांकन पत्र की जांच | 10 अप्रैल |
नामांकन वापसी की अंतिम तिथि | 12 अप्रैल |
मतदान की तारीख | 29 अप्रैल |
मतगणना की तारीख | 23 मई |
लोकसभा चुनाव 2019: चौथे चरण में 29 अप्रैल को इन सीटों पर होगी वोटिंग, देखें राज्यवार सूची
This post was last modified on April 25, 2019 4:31 PM
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