संयुक्त राष्ट्र, 19 जनवरी (आईएएनएस)| संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत शुरू करवाने की अपनी क्षमता पर संदेह जताया है, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई है कि भारत और पाकिस्तान अपने महत्व को समझते हुए एक अर्थपूर्ण वार्ता करेंगे।
इस तरह की भूमिका के बारे में एक संवाददाता सम्मेलन में पूछे जाने पर शुक्रवार को उन्होंने कहा, “मैं दोनों देशों के बीच वार्ता के संबंध में मध्यस्थता की पेशकश करता रहा हूं, लेकिन अभी तक सफलता की कोई स्थिति पैदा नहीं हुई है।”
उन्होंने कहा, “भारत और पाकिस्तान दोनों की अंतर्राष्ट्रीय मामलों में महत्ता है, इसलिए मैं उम्मीद करता हूं कि दोनों देश एक अर्थपूर्ण वार्ता करने में सक्षम होंगे।”
भारत ने अपने पड़ोसी देश के साथ द्विपक्षीय वार्ता के लिए संयुक्त राष्ट्र या किसी भी तीसरे पक्ष की भूमिका से ढृढ़ता से इंनकार किया है।
नई दिल्ली का मानना है कि 1972 में भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच हुए शिमला समझौते में इस बात पर समझौता हुआ था कि दोनों देश अपने विवाद द्विपक्षीय प्रयासों से सुलझाएंगे।
गुटेरेस और उनके पूर्ववर्ती और अमेरिका के विभिन्न राष्ट्रपतियों ने दोनों देशों के बीच ‘मध्यस्थता’ की पेशकश की है, लेकिन भारत ने हमेशा इसे खारिज किया है।
कश्मीर में मानवाधिकारों के संबंध में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका के बारे में बात करते हुए गुटेरस ने संयुक्त राष्ट्र के पूर्व मानवाधिकार उच्चायुक्त जैद अल हुसैन की पिछले वर्ष पेश की गई रपट का संदर्भ दिया और कहा, “संयुक्त राष्ट्र ने इस संबंध में अपना कार्य स्पष्टता के साथ किया है।”
जैद ने अपनी रपट में कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच के लिए अंतर्राष्ट्रीय आयोग गठित करने की सलाह दी थी।
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