जामिया सुनवाई : जयसिंह ने एसजी से न्याय मित्र के रूप कार्य करने की अपील की

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 नई दिल्ली, 19 दिसम्बर (आईएएनएस)| दिल्ली हाईकोर्ट में गुरुवार को कहा गया कि 15 दिसंबर को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर 450 आंसू गैस के गोले दागे गए।

 वकीलों ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद से छात्रों पर यह सबसे असामान्य हमला है। वकीलों ने सॉलिसिटर जनल से न्याय मित्र के तौर पर कार्य करने की अपील की है।

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.एन.पटेल की अगुवाई वाली खंडपीठ ने रविवार को हुई हिंसा की जांच की मांग करने वाली याचिकाओं के एक समूह पर सुनवाई शुरू की। इस पीठ में न्यायमूर्ति चारीशंकर भी शामिल हैं।

रविवार को हुई हिंसा में दिल्ली पुलिस व जामिया मिलिया के छात्र शामिल हैं।

याचिकाकर्ताओं की तरफ से बहस करने वाले वकीलों में संजय हेगड़े व इंदिरा जयसिंह भी शामिल हैं।

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि पुलिस ने परिसर व लाइब्रेरी में बिना इजाजत के प्रवेश किया।

याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व उनके वकीलों ने किया। उन्होंने कहा कि जामिया मिलिया के चीफ प्रॉक्टर ने एक बयान जारी किया है जो पुलिस के दावे के विपरीत है। उन्होंने पुलिस को परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी थी।

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि पुलिस ने 450 आंसू गैस के गोले दागे और एक छात्र को पुलिस कार्रवाई में चोटें आई हैं, उसकी एक आंख की रोशनी चली गई है।

हेगड़े और जयसिंह ने एम्स द्वारा जारी मेडिकल रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें पुष्टि की गई है कि छात्रों में से एक को बुलेट से चोट आई है।

उन्होंने कहा कि छात्रों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा रही है और उन्हें अपराधी बताया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि यह मूल अधिकारों के उल्लंघन का एक गंभीर मामला है।

याचिकाकर्ताओं की तरफ से संजय हेगड़े ने पुलिस के मस्जिद व परिसर की लाइब्रेरी में प्रवेश करने को लेकर सवाल उठाया।

कॉलिन गोन्साल्विस ने कहा, “15 दिसंबर को 4 बजे छात्र परिसर के अंदर थे उन पर पुलिस ने लाइब्रेरी में हमला किया और परिसर में मौजूद मस्जिद में हमला किया।”

उन्होंने कहा, “चीफ प्रॉक्टर ने कहा कि पुलिस ने परिसर में बिना अनुमति के प्रवेश किया। वीसी ने भी कहा कि पुलिस ने परिसर में प्रवेश किया, संपत्ति को तहस-नहस किया और लाठियों का इस्तेमाल किया। संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया और सिर्फ इतना ही नहीं, छात्रों को भावनात्मक नुकसान भी पहुंचा है, उसका क्या।”

दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में कोई अंतरिम राहत नहीं प्रदान किया।

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