रांची, 29 मई (आईएएनएस)। ऐसे तो इस कोरोना संक्रमण काल में सभी अधिकारी अपनी क्षमता के मुताबिक कोरोना से जंग लड़ रहे हैं। इस लड़ाई में झारखंड में एक ऐसे भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी भी हैं जो अपने कायोंर्ं के अलावे अपनी इंजीनियरिंग के ज्ञान का भी उपयोग इस जंग में कर रहे हैं, जिसका लाभ आम लोगों से लेकर विभाग तक को हो रहा है।
वर्ष 2015 बैच के अधिकारी आदित्य रंजन पश्चिम सिंहभूम में उप विकास आयुक्त (डीडीसी) के पद पर रहते अपने इंजीनियरिंग के तकनीकी ज्ञान की बदौलत नवाचार से कई उपयोगी सामानों को विकसित किया जो आज कोरोना की जंग में मदद कर रहे हैं।
झारखंड के पश्चिम सिंहभूम के जिला मुख्यालय चाईबासा के सदर अस्पताल में कोरोना संक्रमण की जांच के लिए अनोखे ‘कोविड-19 सैंपल कलेक्शन सेंटर’ की स्थापना की गई है। यह केबिननुमा केंद्र ना केवल सुरक्षित है बल्कि सस्ता भी है।
डीडीसी आदित्य रंजन ने अपने अन्य इंजीनियर मित्रों की मदद से इस तकनीक को अपने घर पर ही विकसित किया और फिर परीक्षण के बाद इसे सदर अस्पताल परिसर में स्थापित किया गया। डीडीसी का दावा है कि यह देश का पहला इस तरह का केन्द्र है। एल्युमीनियम शीट से तैयार किया गया यह बूथ पूरी तरह ‘एयर टाइट’ है, यानि इसमें हवा अंदर-बाहर नहीं जा सकती। स्वास्थ्यकर्मी इसके अंदर बैठकर ग्लब्स पहनकर कोरोना से संदिग्ध मरीज का सैंपल ले सकेंगे।
आदित्य रंजन ने बीआईटी मेसरा से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। बोकारो में जन्मे और एक सरकारी स्कूल से प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करने वाले रंजन ने बताया कि पीपीई किट की कमी के कारण मन में कुछ नया करने का विचार आया। इसके बाद इंटरनेट पर विदेशों के कुछ अस्पतालों की वीडियो क्लीपिंग और फोटो देखने के बाद उन्हें यह बूथ बनाने का आइडिया आया।
रंजन बीआईटी मेसरा से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद बेंगलुरू में दो साल नौकरी की और फिर यूपीएससी की परीक्षा दी। आदित्य सरकारी अधिकारी की ड्यूटी के अलावा भी इनोवेटिव आइडिया के जरिए लोगों की भी मदद पहुंचा रहे हैं। डीडीसी आदित्य रंजन ने कोरोना संक्रमण से बचने के लिए फेस शील्ड का डिजायन तैयार किया और स्वास्थ्यकर्मियों और पुलिसकर्मियों के लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा इस फेस शील्ड का निर्माण प्रारंभ करवाया।
नवाचारों के लिए चर्चित आदित्य रंजन ने कोविड-19 से लड़ाई में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हुए देश का पहला रोबोटिक्स उपकरण को-बोट को तैयार किया। इसके अलावे उन्होंने हाईटेक आइसोलेशन बेड भी तैयार किया। हाईटेक इंडिविजुअल आइसोलेशन बेड अपने आप में एक कमरे के समान है, जिससे किसी चिकित्साकर्मी को मरीज से और मरीजों को एक दूसरे से संक्रमण से बच रहे हैं।
डीडीसी ने बैंकों में नोट, चेक और ड्राट को विसंक्रमित (वायरस के संक्रमण से मुक्त) करने की मशीन भी विकसित की है। इससे बैंक कर्मियों और रेलकर्मियों की सुरक्षा हो रही है।
पश्चिम सिंहभूम के उपायुक्त अरवा राजकमल ने यह मशीन चाईबासा के बैंक ऑफ इंडिया की मुख्य शाखा को सौंपी है। डीडीसी द्वारा बनाए गए इस मशीन को दक्षिण पूर्व रेलवे मुख्यालय चक्रधरपुर रेलवे स्टेशन के टिकट काउंटर पर भी उपलब्ध करवाया गया है।
डीडीसी आदित्य रंजन ने आईएएनएस को बताया कि इस मशीन को बनाने में 3 हजार से 3500 रुपये खर्च आए हैं।
बहरहाल, आदित्य रंजन अपने सरकारी कार्यो के अलावे अपने इंजीनियरिंग ज्ञान के जरिए नवाचारों से कोरोना की जंग में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं।
–आईएएनएस
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