भोपाल | मध्य प्रदेश में कांग्रेस के नए अध्यक्ष को लेकर चल रही चर्चा के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की एक वैवाहिक समारोह में हिस्सा लेने के लिए हुई संयुक्त यात्रा और फिर पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से कमलनाथ की मुलाकात ने कांग्रेस के हलके में हलचल मचा दी है। नए अध्यक्ष चुने जाने को लेकर कयासबाजी भी तेज हो गई है।
राज्य में कांग्रेस को सत्ता में आए लगभग एक साल होने को है। मुख्यमंत्री बनने के बाद ही कमलनाथ ने पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पेशकश की थी। तब उन्हें लोकसभा चुनाव तक इस पद पर बने रहने को कहा गया था, लोकसभा चुनाव के बाद कमलनाथ ने दोबारा पद छोड़ने की इच्छा जताई। उसके बाद से ही नए अध्यक्ष की चर्चा चल रही है।
कांग्रेस को जहां नए प्रदेशाध्यक्ष के नाम का ऐलान करना है, वहीं सरकार बनने के बाद से खाली पड़े निगम, मंडल अध्यक्ष पदों पर नियुक्ति होनी है। इसको लेकर पार्टी के भीतर लगातार मंथन जारी है।
प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए पूर्व मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव, कांतिलाल भूरिया, सुरेश पचौरी, राज्य सरकार के मंत्री उमंग सिंघार, ओमकार सिंह मरकाम, सज्जन वर्मा, कमलेश्वर पटेल सहित कई अन्य नेताओं के नामों पर चर्चा चल रही है।
कांग्रेस के सूत्रों की मानें तो पार्टी सिंधिया को प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौंपने का लगभग मन बना चुकी है, मगर अंदर से उभरने वाले विरोध के चलते कोई फैसला नहीं हो पा रहा है। मुख्यमंत्री कमलनाथ और सिंधिया के बीच दूरियों का प्रचार भी खूब हो रहा है। इसकी वजह भी है।
कमलनाथ और सिंधिया ने एक साथ कम ही राजनीतिक मंचों को साझा किया है। मुरैना में दोनों नेताओं को कांग्रेस विधायक के यहां वैवाहिक समारोह में जाना था, मगर पहले कार्यक्रम अलग-अलग था, अंत में इसे बदला गया। मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने साथ हैलीकॉप्टर से सिंधिया को ले गए और उन्होंने सिंधिया को अन्य कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए हैलीकॉप्टर भी दिया।
पहले सिंधिया और कमलनाथ का कई घंटे साथ रहना, फिर कमलनाथ की दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से हुई मुलाकात को प्रदेशाध्यक्ष और निगम मंडलों के अध्यक्षों की नियुक्ति से जोड़कर देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस मुलाकात को राज्य सरकार के एक साल के रिपोर्ट कार्ड से जोड़कर बताया है।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष के नाम का तो लगभग फैसला हो ही चुका है। महाराष्ट के चुनाव और उसके बाद के राजनीतिक घटनाक्रमों के कारण ऐलान रूका हुआ है, जो आने वाले दिनों में कभी भी हो सकता है। कमलनाथ से भी सोनिया गांधी की अध्यक्ष को लेकर चर्चा न हुई हो, यह संभव नहीं है। पार्टी के प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया अपनी रिपोर्ट पार्टी हाईकमान को सौंप चुके है।
राजनीतिक विश्लेषक अरविंद मिश्रा का मानना है कि राज्य में कांग्रेस की सरकार अब स्थिर है, और बड़े फैसले लिए सकते है। प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति के साथ मंडल-निगम के अध्यक्षों का फैसला जल्दी हो जाए तो अचरज नहीं होगा।
विश्लेषकों के अनुसार, कार्यकर्ता सरकार में हिस्सेदारी चाहते हैं, देर करने में नुकसान पार्टी का ही हैं। यह बात सभी जानते है। पहले सिंधिया-कमलनाथ और फिर कमलनाथ-सोनिया की मुलाकात में इस बात की चर्चा न हो, इसकी संभावना कम है।
This post was last modified on December 4, 2019 10:08 AM
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