लॉकडाउन: हरिद्वार में फंसे थे गुजरात के 1800 लोग, अमित शाह और CM रूपाणी के निर्देश पर लग्जरी बसों से पहुंचाए गए घर

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चीन के वुहान से निकली वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में कोहराम मचा रखा है। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने एवं उसके बचाव के लिए सरकार के आदेशानुसार पूरे देश में लॉक डाउन कर दिया गया है। हालाँकि, पीएम मोदी के द्वारा लॉकडाउन का ऐलान करने के बाद देश के अलग-अलग राज्यों और शहरों से भारी संख्या में प्रवासी मजदूरों का पलायन शुरू हो गया था। देशव्यापी बंद के कारण तमाम परिवहन सेवाएं भी ठप हो गई थी। इस बीच, उत्तराखंड में फंसे गुजरात के करीब 1800 लोगों को कई बसों में अहमदाबाद वापस लाया गया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, हरिद्वार में गुजराती यात्रियों का सीजन चल रहा था। इस सीजन में हरिद्वार का बाजार गुजराती यात्रियों से भरा होता है। बड़ी संख्या में गुजरात के लोग होली के बाद हरिद्वार की ओर रुख करते हैं। इस बार भी बड़ी संख्या में लोग हरिद्वार आए थे। लेकिन इसी बीच कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते लॉकडाउन हो गया और अनेक यात्री यहां फंस गए। ट्रेन और बस बंद होने के चलते इन यात्रियों की वापसी का कोई रास्ता नहीं बन पा रहा था। फंसे यात्रियों की ओर से अपने परिजनों से लगातार संपर्क साधकर उन्हें वापस बुलाने की मांग की जा रही थी।

अमित शाह के हस्तक्षेप के बाद की गई बसों की व्यवस्था

रिपोर्ट के मुताबिक, 1800 गुजरातियों के उत्तराखंड के हरिद्वार में फंसे होने की बात पता चलने पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और राज्य के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने निर्देश जारी किए। केंद्रीय मंत्री के हस्तक्षेप के बाद हरिद्वार विधायक एवं उत्तराखंड सरकार में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक भी गुजरात के यात्रियों से उनके आश्रय स्थलों पर मिलकर आए थे। जिसके कुछ ही घंटों के अंदर ही उन लोगों को हरिद्वार से घर ले जाने की तैयारी शुरू हो गईं। उन सभी को लग्जरी बसों से सीधे घर पहुंचाया गया।

बताया जा रहा है कि, बसों की इसी व्यवस्था के चलते उत्तराखंड परिवहन की कई वाहन हरिद्वार से अहमदाबाद पहुंचे थे। यह काम इतने गुपचुप तरीके से हुआ कि उत्तराखंड के परिवहन मंत्री तक को ये खबर नहीं लगी कि उनके विभाग के ही कई वाहन लॉकडाउन के दौरान कई राज्यों की सीमाओं को पार करते हुए 1200 किलोमीटर के सफर पर निकल पड़े हैं।

अहमदाबाद के रहने वाले कई लोगों ने अपने घर सकुशल लौटने पर केंद्रीय मंत्री मनसुखभाई मांडविया, गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को धन्यवाद ​दिया। यहां के एक निवासी मुकेश का कहना है कि, मेरे मोबाइल पर एक मैसेज आया, जो कि एक दोस्त ने भेजा था। उसमें लिखा था कि आज रात उत्तराखंड परिवहन की कई बसें अहमदाबाद पहुंच रही हैं। ये बसें कल सुबह वापस उत्तराखंड लौटेंगी, तुम भी इनमें वापस अपने घर लौट सकते हो। उसके बाद मैं एक गाड़ी में सवार हो गया। हमारी तरह गुजरात के अलग-अलग जिलों के करीब 1800 लोग हरिद्वार में फंसे हुए थे। उन्हें निकाल लिया गया है। देर रात तक कई गाड़ियां उन लोगों को घर तक छोड़ती रहीं।

वह आदेश जिसके तहत बसों को हरिद्वार से अहमदाबाद भेजा गया।

हरिद्वार में फंसे गुजरात के वासियों को अहमदाबाद छोड़ने जो बसें आईं थीं, उनके लिए बाकायदा लिखित में सरकारी आदेश जारी किए गए थे। एक पास की फोटो सामने आई है, यह वही आदेश है जिसके तहत बसों को हरिद्वार से अहमदाबाद भेजा गया। हालांकि, गुजरात में फंसे उत्तरखंड के लोगों ने ​शिकायत की है कि, उन्हें तो आधे रास्ते में ही छोड़ दिया गया। यानी, ये बसें सिर्फ उत्तराखंड से गुजरात लौट रहे लोगों के लिए ही चलाई गई थीं।

गुजरात में फंसे उत्तराखंड के लोगों को नहीं लाया गया

जब ये बसें हरिद्वार से रवाना होने लगी और यह खबर सार्वजनिक हुई तो यह मामला विवादों से घिरने लगा। सवाल उठने लगे कि जब लॉकडाउन के चलते पूरे देश में ही लोग अलग-अलग जगहों पर फंसे हैं और उत्तराखंड में भी कई अलग-अलग राज्यों के लोग फंसे हैं तो सिर्फ गुजरात के लोगों के लिए ही विशेष बसें क्यों चलाई जा रही हैं?

इसके साथ ही यह भी सवाल उठे कि तमाम जगहों से उत्तराखंड के जो प्रवासी पैदल ही लौटने पर मजबूर हैं उनके लिए कोई बस अब तक क्यों नहीं चलाई गई? साथ ही यह सवाल भी उठने लगे कि जब अहमदाबाद के लिए बसें निकल ही चुकी हैं तो फिर ये बसें खाली वापस क्यों लौटें, वहां फंसे उत्तराखंड के लोगों को ही वापस लेती आएं। हालांकि, उत्तराखंड सरकार की तरफ से प्रदेशवासियों को वापस लाने के कोई आदेश नहीं थे। ऐसे में कुछ बसों ने उत्तराखंड लौटते वक्त लोगों को बिठा तो लिया, लेकिन उन्हें अलग-अलग राज्यों में उतार दिया।

गौरतलब है कि देश में लॉकडाउन से रोजी रोटी का संकट खड़ा होने के बाद भारी संख्या में मजदूरों ने पैदल ही अपने गृह राज्य की ओर पलायन शुरू कर दिया। दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान से सैकड़ों मजदूर पैदल ही उत्तर प्रदेश और बिहार रवाना हो गए थे। इस दौरान हाईवे पर जगह जगह बड़ी संख्या में मजदूरों को घर लौटते देखा गया। हालाँकि, मजदूरों के पलायन पर यूपी और बिहार का राज्य प्रशासन देर से जागा और इनके लिए बस की व्यवस्था की गई।

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