लोक सभा चुनाव 2019 – क्यों लागू होती है चुनावों से पहले आचार संहिता ? जानें इसके बारे में

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चुनाव आयोग ने आज लोकसभा चुनाव-2019 की तिथियों की घोषणा कर दी है। इस बार 7 चरणों में लोकसभा चुनाव होंगे और 23 मई को नतीजे आएंगे। इसी के साथ आज से देशभर में आचार संहिता लागू हो गई है।

देश में पंचायती चुनावों से लेकर लोकसभा और विधानसभा के लिए होने वाले सभी चुनावों से पहले चुनाव आयोग द्वारा आचार संहिता (Code of Conduct) लगा दी जाती है। निर्वाचन आयोग ने आज लोकसभा चुनाव- 2019 के चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है। इसके साथ ही देश भर में आचार संहिता लागू हो गई है। आखिर ‘चुनाव आचार संहिता’ होती क्या है और क्यों चुनाव आयोग इसे चुनावों के वक्त ही लागू करता है।

चुनाव आचार संहिता (आदर्श आचार संहिता/आचार संहिता) का मतलब है चुनाव आयोग द्वारा जारी दिशा निर्देश। इसके तहत राजनीतिक पार्टीयों और नेताओं के लिए कुछ सामाजिक व्यवहार, नियम एवं उत्तरदायित्वों का निर्धारण किया गया है। निर्वाचन आयोग चुनाव के दौरान किसी भी अप्रिय घटना को रोकने और चुनावों को शांति से संपन्न कराने के उद्देश्य से आचार संहिता लागू करता है। राजनीतिक दलों के आचरण और क्रियाकलापों पर नज़र रखने के लिए चुनाव आयोग पर्यवेक्षक नियुक्त करता है।

‘चुनाव आचार संहिता’ के नियम क्या हैं ?

  • आचार संहिता लागू होने के दौरान सत्ताधारी पार्टी या सरकार को किसी भी नए कल्याणकारी कार्यक्रम या योजनाएं लॉन्च करने की अनुमति नहीं होती।
  • सत्ताधारी दल को अभियान उद्देश्यों के लिए “सीट ऑफ पावर” का उपयोग करने की अनुमति नहीं है।
  • चुनाव के दौरान यह माना जाता है कि कैंडिडेट्स शराब वितरित करते हैं, इसलिए कैंडिडेट्स द्वारा वोटर्स को शराब का वितरण की मनाही होती है।
  • चुनाव अभियान के लिए सड़क शो, रैलियों या अन्य प्रक्रियाओं के कारण कोई यातायात बाधा नहीं होनी चाहिए।
  • मतदान केंद्रों में सभी प्रतिस्पर्धी उम्मीदवारों को चुनाव प्रक्रिया के लिए मतदान अधिकारियों के साथ सहयोग करने की आवश्यकता होती है, ताकि चुनाव प्रक्रिया अच्छी तरह से हो सके।
  • चुनाव के दौरान मतदान केंद्रों के आसपास चुनाव चिन्हों का कोई प्रदर्शन नहीं करना होता।
  • केवल चुनाव आयोग से वैध ‘गेट पास’ रखने वाले व्यक्ति को ही मतदान बूथ पर जाने की अनुमति होती है।
  • हेलीपैड, मीटिंग ग्राउंड, बंगले, सरकारी गेस्ट हाउस इत्यादि जैसी सार्वजनिक जगहों पर कुछ उम्मीदवारों द्वारा एकाधिकार नहीं किया जाना चाहिए। इन स्थानों को प्रतिस्पर्धी उम्मीदवारों के बीच समान रूप से उपयोग किया जाना चाहिए।
  • राजनीतिक दलों की आलोचना कार्यक्रम व नीतियों तक सीमित होनी चाहिए, व्यक्तिगत नहीं।
  • धार्मिक स्थानों का उपयोग चुनाव प्रचार के मंच के रूप में नहीं किया जाना चाहिए।
  • वोट पाने के लिए भ्रष्ट आचरण का उपयोग ना हो। जैसे-रिश्वत देना, मतदाताओं को परेशान करना आदि।
  • किसी की अनुमति के बिना उसकी दीवार, अहाते या भूमि का
    उपयोग ना करना।
  • किसी दल की सभा या जुलूस में बाधा ना उत्पन्न हो।
  • राजनीतिक दल ऐसी कोई भी अपील जारी नहीं करें, जिससे किसी की धार्मिक या जातीय भावनाएं आहत होती हों।

राजनीतिक सभाओं से जुड़े नियम

सभा के स्थान व समय की पूर्व सूचना पुलिस अधिकारियों को दी जाए। दल या अभ्यर्थी पहले ही सुनिश्चित कर लें कि जो स्थान उन्होंने चुना है, वहां निषेधाज्ञा तो लागू नहीं है। सभा स्थल में लाउडस्पीकर के उपयोग की अनुमति पहले प्राप्त करें। सभा के आयोजक विघ्न डालने वालों से निपटने के लिए पुलिस की सहायता करें।

जुलूस संबंधी नियम

जुलूस का समय, शुरू होने का स्थान, मार्ग और समाप्ति का समय तय कर सूचना पुलिस को दें। जुलूस का इंतजाम ऐसा हो, जिससे यातायात प्रभावित न हो। राजनीतिक दलों का एक ही दिन, एक ही रास्ते से जुलूस निकालने का प्रस्ताव हो तो समय को लेकर पहले बात कर लें।जुलूस सड़क के दायीं ओर से निकाला जाए। जुलूस में ऐसी चीजों का प्रयोग न करें, जिनका दुरुपयोग उत्तेजना के क्षणों में हो सके।

नियम तोड़ने पर कार्यवाही

अगर कोई उम्मीदवार इन नियमों का पालन नहीं करता तो चुनाव आयोग उसके ख़िलाफ़ कार्यवाही कर सकता है, उसे चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है, उम्मीदवार के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज हो सकती है और दोषी पाए जाने पर उसे जेल भी जाना पड़ सकता है।


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This post was last modified on March 10, 2019 6:18 PM

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