नीतीश का दोहरा सियासी चेहरा, सीएए के साथ और एनआरसी के खिलाफ

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 पटना, 21 दिसंबर (आईएएनएस)| नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और एनआरसी को लेकर जहां विरोध का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है, वहीं इसे लेकर बयानों का सिलसिला भी जारी है।

  इस बीच, बिहार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ मिलकर सरकार चला रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एनआरसी के बिहार में लागू नहीं करने के बयान को लेकर चर्चा का बाजार गर्म है।

मीडियाकर्मियों शुक्रवार को नीतीश से एनआरसी को लेकर सवाल किया तो उन्होंने बेहद बेबाकी से कहा, “काहे का एनआरसी। यहां क्यों लागू होगा एनआरसी। एकदम लागू नहीं होगा।” इस बयान के बाद वह वहां से निकल गए।

गौरतलब है कि नीतीश के जनता दल (युनाइटेड) ने सीएए का दोनों सदनों में समर्थन किया था और अब भी जद(यू) सीएए के पक्ष में खड़ी है। हालांकि जद (यू) के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर सहित कई नेता सीएए के खिलाफ आवाज बुलंद कर चुके हैं।

जद (यू) के सूत्रों का कहना है कि पूरे देश में सीएए और एनआरसी को लेकर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन जारी होने और इस मुद्दे को राजद सहित सभी विपक्षी दलों को खुले हाथों स्वीकार कर लेने और इस मुद्दे को लेकर सड़क पर उतरने के बाद जद (यू) खुद को ‘बैकफुट’ पर आने को विवश हुई है।

नीतीश कुमार के एनआरसी के संदर्भ में हालांकि प्रशांत किशोर ने पटना में मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद कहा था कि नीतीश कुमार एनआरसी के विरोध में हैं। तब प्रशांत किशोर ने स्पष्ट कहा था कि सीएए को एनआरसी के साथ जोड़ने से परेशानी बढ़ेगी। किशोर ने उस समय कहा था कि नीतीश ने वादा किया है कि बिहार में एनआरसी लागू नहीं होगा।

एनआरसी पर नीतीश द्वारा रुख साफ कर दि जाने के बाद भाजपा के लिए झटका माना जा रहा है। भाजपा के एक नेता ने नाम नहीं प्राकशित करने की शर्त पर कहा कि भाजपा अब भी यह मानकर चल रही है कि सीएए पर लोकसभा और राज्यसभा में समर्थन के बाद बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर नीतीश कुमार एनआरसी के मामले पर भी कम से कम उनका साथ नहीं छोड़ेंगे।

विपक्ष की राय अलग है। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा कहते हैं कि “संविधान में संशोधन के बाद राज्य सरकार के लागू करने और न करने का प्रश्न ही नहीं रह जाता। एनआरसी के बिहार में लागू नहीं करने की बात कर नीतीश कुमार लोगों को बरगला रहे हैं। इस मामले में उनके हाथ में कुछ है ही नहीं। नीतीश कब बदल जाएं कोई नहीं जानता।”

राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह भी नीतीश के एनआरसी विरोध को हास्यास्पद कहते हैं। उन्होंने कहा कि एक तरफ वह सीएए का पक्ष लेते हैं और दूसरी तरफ एनआरसी का विरोध करते हैं। उन्होंने हालांकि अपने अंदाज में यह भी कहा, “वे अब दो दोरस (दो रास्ते) पर हैं। एक तरफ भाजपा के साथ और दूसरी तरफ लोगों के साथ।”

उल्लेखनीय है कि बिहार में अगले वर्ष यानी 2020 में विधानसभा चुनाव है। ऐसे में कोई भी दल नहीं चाहता कि मुस्लिम मतदाता नाराज हों। वैसे, अब सरकार भी लगातार कह रही है कि इस कानून से किसी को भी घबराने और भयभीत होने की कतई जरूरत नहीं है। यह कानून किसी के विरोध का कानून नहीं है।

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