टिड्डियों के हमले (Locust Attack) से न सिर्फ भारत के कई राज्य बल्कि पाकिस्तान भी जूझ रहा है। दरअसल, हाल में ही देश के राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में खड़ी फसलों को निशाना बनाने वाला टिड्डियों का दल (Locust Swarm) पाकिस्तान (Pakistan) से ही दाखिल हुआ है। एक तरफ टिड्डियों के हमले से किसानों को काफी नुकसान हुआ हैं तो वहीं पाकिस्तानी सरकार ने इससे कमाई करने का उपाय ढूंढ़ निकाला है। सरकार ने लोगों से अपील करते हुए कहा है कि वे टिड्डियों को पकड़कर उन्हें सौंपे जिसका इस्तेमाल मुर्गियों के दानों के रूप में किया जाएगा। इससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी भी हो सकेगी।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि वह टिड्डियों को पकड़ने के लिए एक पायलट परियोजना को देशभर में लागू करना चाहते हैं। इसमें किसानों को टिड्डियों के बदले पैसे दिए जाएंगे। उन्होंने दावा किया कि इस योजना से देश के कुछ सबसे गरीब हिस्सों में किसानों को बहुत अधिक आमदनी होगी। पकड़े गए टिड्डियों से पोल्ट्री फार्म के लिए प्रोटीनयुक्त चारा बनाया जाएगा। इस योजना को पहले पायलट प्रोजक्ट के तौर पर पंजाब प्रांत के ओकरा में लागू किया गया, जहां किसानों को 20 रुपये प्रति किलो का भुगतान किया गया।
बता दें कि पाकिस्तान को इन टिड्डियों से भारी नुकसान उठाना पड़ा है। इसके अलावा इनके हमलों से पूर्वी अफ्रीका और दक्षिण एशिया के कई देशों में हजारों हेक्टेयर फसलें बर्बाद हुई हैं। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि टिड्डियों का नया दल ईरान और पश्चिम अफ्रीका में स्थित देशों पर हमला कर सकता है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2018 में आए साइक्लोन की वजह से ओमान के रेगिस्तान में टिड्डियों के लिए परफेक्ट ब्रीडिंग ग्राउंड बना। इसके बाद, टिड्डी दल यमन की ओर बढ़ा, फिर सोमालिया और बाकी ईस्ट अफ्रीकी देश पहुंचा। दूसरी तरफ, ईरान, सऊदी अरब और यमन से एक और झुंड निकला। यही दल पाकिस्तान और भारत में घुसा है। इन टिड्डियों के आतंक से अब भारत और पाकिस्तान के किसान बुरी तरह परेशान हैं। भारत में अप्रैल महीने के बीच टिड्डियों ने राजस्थान में एंट्री की थी। तब से वे पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र तक फैल चुकी हैं।
बताया जाता है कि Desert locust या टिड्डी जब एक समूह में होते हैं तो उनका व्यवहार बदल जाता है। एक घंटे में टिड्डी दल 16-19 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है। लेकिन हवा साथ दे तो वो और भी दूर जा सकते हैं। एक एडल्ट टिड्डी अपने वजन (2 ग्राम) के बराबर रोज खा सकती है। एक किलोमीटर के टिड्डी दल में करीब 4 करोड़ टिड्डियां होती हैं। ये एक दिन में उतना खा सकती हैं जिनता 35 हजार लोग एक दिन में खाएंगे।
रेगिस्तानी टिड्डियां 3 से 5 महीने तक जिंदा रहती हैं। यह थोड़ी गीली मिट्टी में अंडे देना पसंद करती हैं। अच्छी-खासी बारिश होने के बाद, टिड्डियां बड़ी तेजी से प्रजनन करती हैं। एक मीटर जमीन पर एक हजार अंडे तक बिछा दिए जाते हैं। अंड़ों से बाहर निकलने के बाद टिड्डियां आसपास की फसल चट करती हैं फिर खाने की तलाश में निकल जाती हैं। एक अनुमान है जून तक टिड्डियों की आबादी 500 गुना बढ़ जाएगी।
ज्ञात हो कि साल 2013 जब इजरायल में टिड्डियों ने हमला किया तो लोगों ने उन्हें खाना शुरू कर दिया। शेफ उन्हें डीप-फ्राई करके परोसते। कम्बोडिया में टिड्डी के भीतर मूंगफली का दाना भरकर भूना जाता है, फिर खाते हैं। युगांडा में पर और पैर निकालकर फ्राई करते हैं, कटे प्याज और मसालों के साथ पकाते हैं। फिलीपींस में इसे सॉय सॉस के साथ खाते हैं।
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