नई दिल्ली, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर सिंघु सीमा पर हरियाणा और पंजाब के किसानों का आंदोलन रविवार को 11वें दिन में प्रवेश कर गया।
प्रदर्शनकारी किसान 26 नवंबर को सिंघु बॉर्डर पर पहुंचे थे और तब से यह विरोध हर दिन बढ़ता जा रहा है। रविवार तक, विरोध स्थल एक मिनी पिंड (गांव) प्रतीत हो रहा है।
हालांकि विरोध करने वाले किसानों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, लेकिन कोई भी भूखा नहीं रह रहा है, क्योंकि कई लंगर लोगों को पेट भर रहे हैं।
वास्तव में, बादाम और किशमिश जैसे सूखे फल जो लगभग सभी छोटे और मध्यम वर्ग के घरों में एक लक्जरी के रूप में माने जाते हैं, सभी को मुफ्त में वितरित किए जा रहे हैं।
डीएसजीएमसी, संयुक्त सिख, खालसा एड जैसे कई समूह लंगर सेवाओं का आयोजन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी किसानों के स्वास्थ्य के लिए कई चिकित्सा शिविर उनकी देखभाल कर रहे हैं।
जबकि ट्रैक्टर और ट्रॉलियां प्रदर्शनकारियों के अस्थायी घर बन गए हैं।
पंजाब के गुरुदासपुर के एक किसान कमलजीत सिंह अपने लोगों के लगातार प्रदर्शनकारियों को खाद्य सामग्री के साथ चाय मुहैया करा रहे हैं।
उन्होंने कहा, हम वाहेगुरु के बेटे हैं और जहां भी खालसा जाता है, वह जगह एक शहर बन जाती है और लंगर हमारा अभिन्न सिद्धांत है जिसका हम कहीं भी पालन करते हैं।
–आईएएनएस
आरएचए/एसजीके
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