भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को अपनी छठी मौद्रिक समीक्षा नीति का ऐलान कर दिया है। RBI ने रेपो रेट 6.5 से घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया है। जबकि रिवर्स रेपो रेट भी घटाकर 6.00 प्रतिशत कर दिया गया है। रेपो रेट में कटौती से आम आदमी को राहत मिलने वाली है, अब होम लोन के ब्याज दरों में कटौती होगी।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, एमपीसी के 6 में से 4 सदस्यों ने रेपो रेट में कटौती के फैसले का समर्थन किया, जबकि विरल आचार्य और चेतन घाटे रेपो रेट में कटौती के पक्ष में नहीं थे। दरअसल, आरबीआई अपनी द्विपक्षीय मौद्रिक समीक्षा में देश की वर्तमान आर्थिक स्थिति और वैश्विक अर्थव्यवस्था से मिल रही चुनौतियों को देखते हुए देश के सभी सरकारी और गैर-सरकारी बैंकों के लिए रेपो रेट और कैश रिजर्व रेशियो निर्धारित करता है।
बैंकों को अपने प्रतिदिन के कामकाज लिए अक्सर बड़ी रकम की जरूरत होती है। रेपो रेट वह दर है जिसपर देश का कोई बैंक रिजर्व बैंक से कम अवधि का कर्ज लेता है। अब सवाल यह है कि यह आम आदमी के लिए क्या मायने रखता है? दरअसल, रेपो रेट कम होने से बैंकों के लिए रिजर्व बैंक से कर्ज लेना सस्ता हो जाता है और इसके चलते बैंक आम लोगों को दिए जाने वाले कर्ज की ब्याज दरों में भी कमी करते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा रकम कर्ज के तौर पर दी जा सके। अब अगर रेपो दर में बढ़ोतरी की जाती है तो इसका सीधा मतलब यह होता है कि बैंकों के लिए रिजर्व बैंक से रात भर के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा। ऐसे में जाहिर है कि बैंक दूसरों को कर्ज देने के लिए जो ब्याज दर तय करेंगे वह भी उन्हें बढ़ाना होगा।
वहीं कैश रिजर्व रेशियो किसी बैंक के पास मौजूद कुल मुद्रा का वह हिस्सा है जो केन्द्रीय बैंक के अधीन है। इस रेशियो को बढ़ा घटा कर रिजर्व बैंक बाजार में तरलता और बैंक की कर्ज देने की क्षमता में परिवर्तन करता है।
तीन दिनों तक चलने वाली बैठक के आखिरी दिन होने वाले ऐलान पर देशभर के कारोबारियों की नजर इसलिए भी रहती है कि वह मौजूदा समय में महंगाई का आकलन किस तरह कर रहा है। इसके अलावा रिज़र्व बैंक केंद्र सरकार की जारी और प्रस्तावित योजनाओं का सरकारी खजाने पर पड़ने वाले असर का भी आकलन करते हुए केन्द्र सरकार को सलाह देने का काम करता है। गौरतलब है कि बीते कुछ वर्षों के दौरान केन्द्र सरकार और रिजर्व बैंक के बीच मौद्रिक नीति को लेकर विवाद सामने आए हैं। इन विवादों के चलते पूर्व के गवर्नरों ने केंद्र सरकार पर रिजर्व बैंक की स्वायत्तता को सुरक्षित रखने की बात कही है।
गौरतलब है कि 1 फरवरी को आए अंतरिम बजट में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री किसान योजना का ऐलान किया है। इसके अलावा मध्यम वर्ग को इनकम टैक्स में राहत देने का फैसला लिया है। जहां मध्यम वर्ग के लिए किए गए टैक्स ऐलान का असर नए वित्त वर्ष में सरकारी खजाने पर दिखेगा वहीं किसानों की योजना को मौजूदा वित्त वर्ष से ही शुरू करने का प्रस्ताव दिया गया है। इन दोनों की योजनाओं का असर केंद्र सरकार के राजस्व पर पड़ेगा, जिसके चलते पहले से ही चुनौती दे रहा वित्तीय घाटा और गंभीर हो सकता है।
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This post was last modified on February 7, 2019 12:27 PM
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