सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को पद से हटाए गए आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की पत्नी श्वेता भट्ट द्वारा दाखिल याचिका पर गुजरात सरकार से जवाब मांगा। श्वेता का आरोप है कि उन्हें अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि उनके पति को ऐसा करने से रोका जा रहा है।
श्वेता ने आरोप लगाया कि उनके पति को वकालतनामे और अन्य दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने की इजाजत नहीं दी जा रही है, जो कि अदालत जाने के लिए बहुत जरूरी है। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने इसे ‘बेहद गंभीर’ बताते हुए गुजरात सरकार से जवाब देने को कहा है।
न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, “यह बहुत ही गंभीर है कि एक व्यक्ति को अदालत आने की इजाजत नहीं दी जा रही है। उनकी पत्नी को आने (अदालत) के लिए मजबूर होना पड़ा है।”
उन्होंने कहा, “मामले की सुनवाई शुरू करने से पहले हम गुजरात सरकार का जवाब चाहते हैं।”
अदालत ने गुजरात का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से शुक्रवार तक जवाब देने को कहा और मामले की अगली सुनवाई चार अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध कर दी।
संजीव भट्ट को गुजरात पुलिस की सीआईडी अपराध शाखा द्वारा पांच सितम्बर को गिरफ्तार किया गया था। उन्हें 1996 में मादक पदार्थ बेचने के एक मामले में राजस्थान के वकील सुमेर सिंह राजपुरोहित को कथित रूप से फंसाने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। भट्ट उस समय बनासकांठा जिले के पुलिस अधीक्षक थे।
This post was last modified on September 24, 2018 5:59 PM
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